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होली पर भद्रा का साया, जानें लीजिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Holi 2025: इस वर्ष होली दहन के संबंध में ज्योतिषियों का स्पष्ट मत है कि यह दहन 13 मार्च की मध्य रात्रि को होगा. भद्रा के मुख में दहन करना अशुभ माना जाता है, इसलिए विशेष परिस्थितियों में शास्त्रों के अनुसार मुख में दहन की अनुमति दी गई है.

Holi 2025, Holika Dahan 2024: होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है, जिसे धुलेंडी के नाम से जाना जाता है. धुलेंडी का अर्थ है रंगों से भरी होली. इसके पश्चात रंगपंचमी पर भी रंगों की होली खेली जाती है. इस वर्ष होलिका दहन और धुलेंडी के अवसर पर भद्रा के साथ-साथ चंद्र ग्रहण का भी प्रभाव है. ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि होलिका दहन की पूजा कब करनी चाहिए और कब होली का आनंद लेना चाहिए.

जानें कब होगा होलिका दहन

फाल्गुनी पूर्णिमा के अवसर पर 13 मार्च को होलिका दहन के समय भद्रा का प्रभाव रहेगा. इस कारण प्रदोषकाल नहीं होगा, और मध्यरात्रि में होलिका दहन के लिए 1 घंटे 04 मिनट का सर्वोत्तम समय निर्धारित किया गया है. इस दिन भद्रा की अवधि 12 घंटे 51 मिनट होगी. ज्योतिर्विदों के अनुसार, यदि भद्रा मध्यरात्रि तक बनी रहती है, तो शास्त्रों में भद्रा के मुख को छोड़कर पूंछ में होलिका दहन की अनुमति दी गई है.

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होलिका दहन के शास्त्रीय नियम

  • प्रथम नियम के अनुसार, होलिका दहन के समय भद्राकाल अर्थात् विष्टि काल का होना वर्जित है.
  • द्वितीय नियम यह बताता है कि यदि भद्रा मृत्यु लोक में उपस्थित नहीं है, तो होलिका दहन किया जा सकता है.
  • तृतीय नियम के अनुसार, पूर्णिमा प्रदोषकाल में होनी चाहिए. अर्थात् उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि का होना आवश्यक है.
  • चतुर्थ नियम यह कहता है कि यदि भद्रा उपस्थित है, तो पूंछ काल में होलिका दहन किया जा सकता है, बशर्ते कि ज्योतिष गणना इसकी अनुमति देती हो.

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