Ekadashi Vrat in May 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है. ये व्रत आत्मा की शुद्धि, पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से रखा जाता है. खास बात ये है कि हर महीने दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. यानी साल में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं. मई 2025 में भी दो बेहद शुभ एकादशियां आने वाली हैं, मोहिनी एकादशी और अपरा एकादशी. जानिए इन दोनों व्रतों की तिथि, पूजन विधि और महत्व के बारे में विस्तार से.
मोहिनी एकादशी– इच्छाओं की पूर्ति और पापों से मुक्ति का दिन
- व्रत की तिथि: गुरुवार, 8 मई 2025
- पारण (व्रत तोड़ने का समय): शुक्रवार, 9 मई को सुबह 5:34 से 8:16 बजे तक
- एकादशी तिथि आरंभ: बुधवार, 7 मई को सुबह 10:19 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: गुरुवार, 8 मई को दोपहर 12:29 बजे
मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में आती है. इसका नाम भगवान विष्णु के मोहक स्त्री रूप “मोहिनी अवतार” पर पड़ा है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सारे पापों का नाश होता है और भक्त को मानसिक शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है. यह व्रत विशेष रूप से इच्छाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है.
अपरा एकादशी – पुण्य, सफलता और आत्मशुद्धि का व्रत
अपरा एकादशी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में आती है. इसे ‘अज्ञात पापों के नाश’ की एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन उपवास रखने से जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक बल बढ़ता है. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए उत्तम है जो जीवन में सफलता, सम्मान और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं.
- व्रत की तिथि: शुक्रवार, 23 मई 2025
- पारण (व्रत तोड़ने का समय): शनिवार, 24 मई को सुबह 5:26 से 8:11 बजे तक
- एकादशी तिथि आरंभ: शुक्रवार, 23 मई को रात 1:12 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: शुक्रवार, 23 मई को रात 10:29 बजे
- अपरा एकादशी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में आती है. इसे ‘अज्ञात पापों के नाश’ की एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन उपवास रखने से जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक बल बढ़ता है. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए उत्तम है जो जीवन में सफलता, सम्मान और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं.
एकादशी व्रत विधि और पारण का महत्व
- एकादशी व्रत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा से शुरू होता है.
- व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और केवल फलाहार करते हैं.
- रात को जागरण और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है.
- पारण यानी व्रत खोलना, अगले दिन सूर्योदय के बाद द्वादशी तिथि में करना जरूरी होता है. यदि द्वादशी सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाए, तो पारण का नियम नहीं माना जाता.
- मई 2025 की मोहिनी और अपरा एकादशी आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद लाभकारी मानी जाती हैं. इन दिनों व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. साथ ही पापों का नाश होता है और मन को शुद्धि मिलती है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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