Chitragupt Puja 2025: हिंदू धर्म में 33 देवताओं का उल्लेख मिलता है, जिनमें भगवान चित्रगुप्त का विशेष स्थान है. उन्हें देवताओं का लेखाकार माना जाता है, जो हर इंसान के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. मृत्यु के बाद वे तय करते हैं कि किसे स्वर्ग या नरक का फल मिलना चाहिए. भगवान चित्रगुप्त को यमराज के सहायक और आकाशीय लेखपाल कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार उनका जन्म भगवान ब्रह्मा के चित्त (मन) से हुआ था, इसलिए उन्हें “चित्रगुप्त” नाम मिला.
कब मनाया जाता है चित्रगुप्त पूजा
माना जाता है कि चित्रगुप्त जी की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि बढ़ती है, जबकि अज्ञानता और गरीबी दूर होती है. उनकी पूजा खासतौर पर भाई दूज के दिन की जाती है, जो कायस्थ समुदाय के लिए बहुत महत्व रखता है. साल 2025 में भगवान चित्रगुप्त की पूजा भाई दूज के दिन मनाई जाएगी, जो दिवाली के दो दिनों बाद पड़ती है.
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
यह दिन भगवान चित्रगुप्त को समर्पित होता है. माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं और सभी लोगों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. उन्हें कलम-दवात और लेखन का देवता भी कहा जाता है. इसलिए इस दिन कलम, दवात और कागज की पूजा की जाती है.
क्यों नहीं करते इस दिन पढ़ाई या लिखाई
चित्रगुप्त पूजा के दिन लोग अपनी किताबें, पेन, कॉपियां और हिसाब-किताब की बही पूजा के लिए रखते हैं. विद्यार्थी और व्यापारी दोनों ही इस दिन कलम-दवात की विशेष पूजा करते हैं, ताकि उन्हें ज्ञान, सफलता और समृद्धि मिले. परंपरा के अनुसार, इस दिन पढ़ाई या कोई लिखने का काम नहीं किया जाता. माना जाता है कि जब कलम और किताबें पूजा में रखी जाती हैं, तो वे भी विश्राम की अवस्था में होती हैं. इसलिए उस दिन उनका उपयोग न करना ही शुभ माना जाता है.
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चित्रगुप्त पूजा के दिन पढ़ाई कर ली तो क्या होगा?
अब सवाल यह है कि अगर कोई इस दिन पढ़ाई कर ले तो क्या कोई नुकसान होगा? धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो ऐसा करना अशुभ नहीं है, लेकिन यह परंपरा के खिलाफ माना जाता है. इसका मतलब यह नहीं कि कोई बुरा फल मिलेगा, बल्कि यह समझा जाता है कि आपने उस दिन के महत्व का सम्मान पूरी तरह नहीं किया.
चित्रगुप्त पूजा का असली संदेश
चित्रगुप्त पूजा का असली उद्देश्य ज्ञान, लेखन और कर्म के प्रति आदर जताना है. अगर कोई भूल से इस दिन पढ़ाई कर ले, तो कोई बुरा असर नहीं होता. फिर भी, बेहतर यह है कि इस दिन किताबों और कलम की पूजा करें, उन्हें विश्राम दें और अगले दिन नई ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ पढ़ाई शुरू करें. यही इस दिन की सच्ची भावना है.
चित्रगुप्त पूजा कब है?
चित्रगुप्त पूजा हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाई जाती है. वर्ष 2025 में यह 23 अक्टूबर को है.
चित्रगुप्त पूजा में क्या लिखा जाता है?
इस दिन लोग अपने नाम और कर्मों का लेखा-जोखा कलम और कागज पर लिखते हैं.
कलम-दवात की पूजा क्यों होती है?
कलम-दवात की पूजा भगवान चित्रगुप्त को समर्पित लेखा-जोखा और ज्ञान के प्रतीक के रूप में की जाती है.
चित्रगुप्त पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?
पूजा के लिए कलम, स्याही, किताबें, कॉपियां और पत्ता या पवित्र थाल आवश्यक होती हैं.
भगवान चित्रगुप्त कौन हैं?
भगवान चित्रगुप्त यमराज के सहायक और मानव कर्मों के दिव्य लेखाकार देवता हैं.

