Chinnamasta Jayanti 2025: छिन्नमस्ता जयंती माँ छिन्नमस्ता के प्रकट होने की शुभ तिथि है, जो तंत्र की दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती है. यह उत्सव ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है. माँ छिन्नमस्ता आत्म-बलिदान, शक्ति और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक हैं. इस दिन साधक तांत्रिक साधनाओं और विशेष पूजा का आयोजन करते हैं.
कब है छिन्नमस्ता जयंती
वैदिक पंचांग के अनुसार, 10 मई को शाम 05 बजकर 29 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी. वहीं, 11 मई को शाम 08 बजकर 01 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी. सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है. इस दिन छिन्नमस्ता जयंती का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देवी मां छिन्नमस्ता की पूजा और भक्ति की जाएगी.
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दस महा विद्याओं में छिन्नमस्तिका माता को छठी महाविद्या के रूप में माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने एक बार अपनी सहेलियों की भूख को शांत करने के लिए अपना सिर काट दिया था, इसलिए उन्हें छिन्नमस्तिका के नाम से जाना जाता है. इस पर्व पर माता के मंदिर या पूजा स्थल को विधिपूर्वक सजाया जाता है, और भक्त देवी छिन्नमस्तिका की विशेष आराधना करते हैं.
छिन्नमस्ता मां की पूजा विधि
साधक को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए. इस समय सबसे पहले देवी मां छिन्नमस्ता का ध्यान करना आवश्यक है. इसके बाद घर की सफाई करके गंगाजल मिलाकर स्नान करें. फिर आचमन करके स्वयं को शुद्ध करें और लाल रंग के नए वस्त्र धारण करें. अब पूजा स्थल पर देवी मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को विधिपूर्वक स्थापित कर देवी मां छिन्नमस्ता की पूजा करें. पूजा के दौरान देवी मां छिन्नमस्ता को फल, फूल और मिठाई अर्पित करें. अंत में आरती करके सुख और शांति की प्रार्थना करें.