Ardra Nakshatra 2025: कल यानी 22 जून 2025 से आर्द्रा नक्षत्र की शुरुआत हो रही है, जो भारतीय धर्म, संस्कृति और ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है. खासकर बिहार में इस अवसर पर बनाई जाने वाली पारंपरिक सात्विक थाली का एक अलग ही धार्मिक और प्राकृतिक महत्व है. यह केवल एक पारंपरिक भोजन नहीं, बल्कि ऋतु संतुलन, शरीर शुद्धि और देव पूजन का प्रतीक भी है.
कैसी होती है आर्द्रा नक्षत्र की पारंपरिक बिहारी थाली?
इस विशेष दिन पर परोसी जाने वाली थाली में होते हैं –
कल से आर्द्रा नक्षत्र का गोचर, जीवन पर क्या होगा असर?
- चावल, अरहर की दाल, लौकी-चना की सब्जी, कद्दू-भात, सत्तू, टमाटर-धनिया की चटनी, मीठा दही, खीर या गुड़.
- हर व्यंजन मौसम के अनुकूल होता है और शरीर को शुद्ध, शांत व ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है.
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
आर्द्रा नक्षत्र के अधिदेवता रुद्र (भगवान शिव का उग्र रूप) हैं. वैदिक मान्यताओं के अनुसार, इस नक्षत्र के दौरान रुद्र का पूजन, व्रत और सात्विक भोजन करने से मानसिक संतुलन, रोगों से रक्षा और आध्यात्मिक उन्नति होती है. यही कारण है कि इस दिन झंझट वाले भारी भोजन से परहेज किया जाता है.
लोक मान्यताएं और सांस्कृतिक परंपराएं
बिहार में मान्यता है कि आर्द्रा नक्षत्र से वर्षा ऋतु का आरंभ होता है और प्रकृति की ऊर्जा सक्रिय होती है. इस दिन महिलाएं घर में पारंपरिक व्यंजन बनाकर भगवान शिव को भोग लगाती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है.
संस्कृति, श्रद्धा और स्वास्थ्य का संगम
आर्द्रा नक्षत्र की बिहारी थाली केवल भोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, श्रद्धा और स्वास्थ्य का संगम है. यह दिन देव पूजा, आत्मशुद्धि और ऋतु परिवर्तन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यदि आप भी इस दिन को विशेष बनाना चाहते हैं, तो पारंपरिक भोज जरूर अपनाएं.