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Adhikamaas Chaturthi: आज है अधिकमास की चतुर्थी, इस दिन पूजा करने पर सभी दुखों को हरते है भगवान गणेश, जानें मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र

Adhikamaas Chaturthi 2020: इस समय अधिक मास चल रहा है. हिंदू धर्म में अधिक मास का बहुत ज्यादा महत्व है. आज अधिकमास की चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने पर श्री गणेश की कृपा प्राप्ति से जीवन के सभी असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. आश्विन माह और अधिक मास में आनेवाली श्री विनायक चतुर्थी 20 सितंबर 2020 दिन रविवार यानि आज है. इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है.

Adhikamaas ki chaturthi: इस समय अधिक मास चल रहा है. हिंदू धर्म में अधिक मास का बहुत ज्यादा महत्व है. आज अधिकमास की चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने पर श्री गणेश की कृपा प्राप्ति से जीवन के सभी असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है. आश्विन माह और अधिक मास में आनेवाली श्री विनायक चतुर्थी 20 सितंबर 2020 दिन रविवार यानि आज है. इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है.

चतुर्थी भगवान श्री गणेश की तिथि है. पुराणों के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को ‘वरद विनायक चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर-मध्याह्न में की जाती है. भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, विघ्नहर्ता यानी आपके सभी दु:खों को हरने वाले देवता है. इसीलिए भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायक/विनायकी चतुर्थी और संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं.

कैसे करें विनायक चतुर्थी का पूजन

– सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें, लाल रंग के वस्त्र धारण करें.

– दोपहर पूजन के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें.

– संकल्प के बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें.

– तत्पश्चात श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं.

– अब गणेश का प्रिय मंत्र- ‘ॐ गं गणपतयै नम:’ बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं.

– श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं. इनमें से 5 लड्‍डुओं का ब्राह्मण को दान दें तथा 5 लड्‍डू श्री गणेश के चरणों में रखकर बाकी को प्रसाद स्वरूप बांट दें.

– पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करें.

– ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें. अपनी शक्ति हो तो उपवास करें अथवा शाम के समय खुद भोजन ग्रहण करें.

– शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का स्तवन करें.

– संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें.

– ॐ गणेशाय नम:’ मंत्र की कम से कम 1 माला अवश्य जपें.

विनायक चतुर्थी के मुहूर्त

रवि योग- सुबह 6 बजकर 08 मिनट से रात्रि 10 बजकर 52 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक.

विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 05 मिनट तक.

अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 58 मिनट से शाम 04 बजकर 24 मिनट तक.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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