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Pausha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha: संकष्टी चतुर्थी के दिन अवश्य करें व्रत कथा का पाठ, सारे दुख होंगे दूर

Pausha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha: साल 2025 में संकष्टी चतुर्थी 7 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ और संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों के जीवन से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. इसलिए इस दिन व्रत कथा का पाठ अवश्य करें.

Pausha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha: पौष मास की चतुर्थी तिथि में हर साल संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. इस दिन विघ्नहर्ता गणपति जी की पूजा की जाती है. कहते हैं, जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा के सभी नियमों का पालन करते हुए इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत कथा का पाठ करता है, उसके जीवन से सारे संकट, दुख-दर्द और परेशानियां दूर हो जाती हैं.

पौष संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Pausha Sankashti Chaturthi Vrat Katha)


प्राचीन कथा के अनुसार, महादेव के परम भक्त माने जाने वाले महाबलशाली रावण ने सभी देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था. उसके अहंकार की कोई सीमा नहीं रही. एक दिन जब किष्किंधा के महाराज महाबलि बली शाम के समय संध्या अर्पित कर रहे थे, तभी रावण ने महाराज बली को पीछे से पकड़ लिया. लेकिन रावण को उनकी शक्ति का अंदाजा नहीं था. महाबलि ने रावण को पकड़कर अपने बगल में दबा दिया. रावण ने खुद को छुड़ाने की लाख कोशिश की, लेकिन वह नाकामयाब रहा.

इसके बाद बली उसे अपने नगर किष्किंधा लेकर गए, जहां बली ने रावण को अपने पुत्र अंगद को खिलौने की तरह खेलने के लिए दे दिया. अंगद रावण को खिलौना समझकर रस्सी से बांधकर अपनी नगरी में हर जगह घुमाने लगा, जिससे रावण को अत्यंत दुख, दर्द और कष्ट हुआ. जब रावण से यह और सहन नहीं हुआ, तो उसने अपने पितामह महर्षि पुलस्त्य जी का आवाहन कर उन्हें बुलाया. इसके बाद पुलस्त्य जी रावण के सामने प्रकट हुए.

महर्षि पुलस्त्य जी ने रावण से उन्हें बुलाने का कारण पूछा. तब रावण ने उन्हें सारी बात बताई और अपने दुखों के निवारण का उपाय मांगा. रावण की बातें सुनने के बाद महर्षि पुलस्त्य जी ने उसे पौष संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने की सलाह दी. उन्होंने रावण को बताया कि जो भी भक्त सच्चे मन से पौष मास की चतुर्थी तिथि को विघ्नहर्ता, संकटहर्ता गणेश जी की आराधना करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं.

इसके बाद महर्षि पुलस्त्य जी की बात मानकर रावण ने पूरी श्रद्धा के साथ संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा और व्रत किया. फलस्वरूप रावण महाबलि बली के बंधन से मुक्त हो गया और उसे अपना राज्य वापस मिल गया.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

Neha Kumari
Neha Kumari
प्रभात खबर डिजिटल के जरिए मैंने पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा है. यहां मैं एक इंटर्न के तौर पर काम करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से जुड़े विषयों पर कंटेंट राइटिंग के बारे में सीख रही हूं.

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