ज्योतिष में शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह माना गया है. शुक्र को पति-पत्नी, प्रेम संबंध, ऐश्वर्य, आनंद आदि का भी कारक ग्रह माना गया है. अगर कुंडली में शुक्र की स्थिति अच्छी है तो जातक का पूरा जीवन भोग, आनंद और ऐश्वर्य के साथ बितता है. शुक्र ग्रह से प्रभावित व्यक्ति सौम्य एवं अत्यंत सुंदर व्यक्तित्व का होता है. यदि किसी की कुंडली में शुक्र शुभ प्रभाव देता है तो वह जातक आकर्षक, सुंदर और मनमोहक होता है. शुक्र के विशेष प्रभाव से जातक जीवनभर सुखी रहता है. शुक्र अपने प्रभाव से जातक को मकान और वाहन आदि का भी सुख देता है. सम्पूर्ण भोग विलास की चीजों का क्षेत्राधिकार ग्रहो में शुक्र ग्रह को प्राप्त हैं. शुक्र की चमक एवं शान अन्य ग्रहो के अलग व निराली है. शुक्र की आराधना कर शुक्र को बलवान बनाकर सुख व ऐश्वर्य पाया जा सकता है. शुक्र ग्रह से प्रभावित युवतियां प्रतियोगिता में जीत दर्ज करती हैं. कुछ ग्रह ऐसे भी होते हैं जो कुछ दूर तक तो युवतियों का सहयोग करते हैं, लेकिन जैसे ही दूसरे प्रतिभागियों के ग्रह भारी पड़ते हैं, कमजोर ग्रह वाली युवतियां पिछड़ने लगती है.
पहले भाव में शुक्र
जातक की कुंडली के पहले भाव में शुक्र, जातक को अत्यधिक सुंदर, दीर्घायु, मॄदुभाषी, और विपरीत लिंगियो के बीच लोकप्रिय बनाता है. लेकिन जातक की पत्नी बीमार रहती है. जातक कामुक होगा और किसी भी धर्म, जाति, पंथ के मानव के साथ यौन संबंध बनाने को आतूर होगा. आमतौर पर ऐसा जातक स्वाभाव से बहुत रोमांटिक होता है. सामान्यत: कमाई शुरू करने से पहले ही जातक की शादी हो जाती है. ऐसा जातक हमउम्र लोगो का नेता बन जाता है, लेकिन परिवार के सदस्यों का नेतृत्व करना मुसीबतों का कारण बनता है. ऐसे जातक की रुचि धार्मिक गतिविधियों में नहीं होती है.
उपाय :
1. 25 वर्ष की उम्र में शादी न करें.
2. हमेशा दूसरों की सलाह लेकर ही किसी नये काम की शुरुआत करें.
3. काले रंग की गाय की सेवा करें.
4. दही मिलाकर स्नान करें एवं दिन के समय संबंध बनाने से बचें.
कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र
कुंडली के दूसरे भाव में बैठा शुक्र जातक को धन संपत्ति वाला बनाता है. लेकिन दूसरों का बुरा या बुराई करना जातक के लिए हानिकारक साबित होगा. शेरमुखी घर (सामने से बड़ा और पीछे से कम) जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा. ऐसे जातकों के लिए सोने और आभूषणों से संबंधित व्यवसाय अत्यंत हानिकारक होगा. मिट्टी के सामान से जुड़ा व्यवसाय, कृषि और पशु ऐसे जातकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होंगे. अगर जातक स्त्री हो तो शुक्र संतान की समस्या देता है जबकि जातक के पुरुष होने पर पुत्र संतान की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है.
उपाय :
1. संतान की समस्या के लिए जातक को मंगल से संबंधित चीजें जैसे शहद, सौंफ अथवा देशी खांड का दान और इस्तेमाल करना चाहिए.
2. हल्दी के पीले रंग से रंगे दो किलोग्राम आलू गायों को खिलाएं.
3. मंदिर में दो किलो गाय का घी भेंट करें.
4. व्यभिचार से बचें.
कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र
जातक की कुंडली के तीसरे भाव में अगर शुक्र हो तो जातक इतना आकर्षक होता है कि हर प्रकार की स्त्रियां उसकी ओर आकर्षित होती हैं. ऐसे जातक को आम तौर पर सभी प्यार करते हैं. यदि जातक किसी और स्त्री से संबंध रखता है तो जातक को अपनी पत्नी की चापलूसी करनी पडती है. अन्यथा हमेशा उसकी पत्नी जातक पर हावी रहता है. हालांकि जातक की पत्नी सब पर हावी रहेगी लेकिन यदि जातक पराई स्त्री से संबंध नही रखता हो वह उस पर हावी रहेगा. जातक की पत्नी साहसी, समर्थक और बैलगाड़ी के दूसरे बैल की तरह जातक के लिए सहयोगी होगी. वह जातक को छल, चोरी और नुकसान से बचाने वाली होगी.
उपाय :
1. अपनी पत्नी का सम्मान करें और अतिरिक्त वैवाहिक मामलों से बचें.
2. पराई औरतों के साथ छेड़खानी करने से बचें.
कुंडली के चौथे भाव में शुक्र
किसी भी जातक की कुंडली के चौथे भाव में बैठा शुक्र दो पत्नियों की संभावना को मजबूत करता है और जातक को धनवान बनाता है. यदि बृहस्पति दसम भाव में हो और शुक्र चौथे भाव में हो और जातक धार्मिक नहीं बन सकता है. अगर जातक धार्मिक प्रवृति में लिप्त होने का प्रयास करेगा तो प्रतिकूल परिणाम मिलेंगे. यदि जातक ने कुएं के ऊपर छ्त बना रखी है या मकान बना रखा है तो चौथे भाव में बैठा शुक्र पुत्र प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होगी. चौथे घर का शुक्र और पहले घर का बृहस्पति सास से झगडा करवाता है.
उपाय :
1. अपनी पत्नी का नाम बदलें और उससे औपचारिक रूप से पुनर्विवाह करें.
2. चावल, चांदी और दूध बहते पानी में बहाएं अथवा खीर या दूध मां समान महिलाओं को खिलाने से सास और बहू के बीच होने वाले झगड़े शांत होंगे.
3. पत्नी के स्वास्थ्य के लिए घर की छत को साफ और स्वच्छ बनाए रखें.
4. बृहस्पति से सम्बन्धित चीजें जैसे चना, दाल और केसर को बहती नदी में बहाएं.
कुंडली के पांचवें भाव में शुक्र
जातक की कुंडली के पांचवें भाव में शुक्र जातक को कामुक और इश्कबाज बनाता है. पांचवां घर सूर्य का घर है जहां शुक्र सूर्य की गर्मी से जल जाता है. इस प्रभाव से जातक अपने जीवनकाल में बडे दुर्भाग्य का सामना करता है. हालांकि, यदि जातक अपने चरित्र को अच्छा बनाए रखता है वह जीवन की कठिनाइयों को पार कर जाएगा और धनवान बनेगा. शादी के पांच साल के बाद जातक को पदोन्नति मिलेगी. ऐसा जातक अनुभवी और शत्रुओं को परास्त करने वाला होता है.
उपाय :
1. ऐसा जातक अपने माता पिता की मर्जी के खिलाफ शादी न करे.
2. मां के समान स्त्रियों और गौ माता की सेवा करें.
3. पराई स्त्रियों से किसी भी परिस्थिति में संबंध ना रखें.
कुंडली के छठे भाव में शुक्र
जातक की कुंडली के छठे भाव में बैठा शुक्र जातक को विपरित लिंग की ओर आकर्षित करता है. लग्न का छठा भाव बुध और केतू का माना गया है जो एक दूसरे के शत्रु हैं, लेकिन शुक्र दोनों का मित्र है. इस घर में शुक्र नीच होता है. लेकिन यदि जातक विपरीत लिंगी को प्रसन्न रखता है और सारे और सुविधा उपलब्ध करवाता है तो उसके धन और पैसे में बृद्धि होगी. जातक की पत्नी को पुरुषों के जैसे कपडे नहीं पहनने चाहिए और न ही पुरुषों के जैसे बाल रखने चाहिए अन्यथा गरीबी बढती है. ऐसे जातक को उसी से विवाह करना चाहिए जिस स्त्री के भाई हों. ऐसा जातक अपने काम को बिच में अधूरा नहीं छोड़ता है.
उपाय :
1. जातक स्त्री हो तो स्वयं या फिर पुरुष हो तो पत्नी अपने बालों में सोने का कि.ल लगाए.
2. खयाल रखें कि पत्नी नंगे पैर न चले.
कुंडली के सातवें भाव में शुक्र
कुंडली का सातवां भाव शुक्र का है, इस भाव में बैठा हुआ शुक्र जातक को काफी अच्छे परिणाम देता है. अगर शुक्र इस घर में हो और पहले भाव में स्थित ग्रह सातवें भाव पर इस प्रकार प्रभाव डालता है मानो वह सातवें भाव में स्थित हो. यदि पहले भाव में स्थित ग्रह शुक्र का शत्रु ग्रह जैसे राहू हो तो जातक की पत्नी और घरेलू मामले बुरी तरह से प्रभावित होंगे. जातक बडे पैमाने पर अपने पैसे महिलाओं पर खर्च करता है. विवाह से संबंधित व्यापार-व्यवसाय जैसे टेन्ट हाउस और ब्यूटी पार्लर आदि का काम जातक के लिए फायदेमंद रहेगा.
उपाय :
1. सफेद गाय न पालें, इसके अलावे किसी भी और रंग के गौ पाल सकते हैं.
2. लाल गायों की सेवा करें और अगर पालना चाहें तो लाल गाय पालें.
3. जीवन साथी के वजन के बराबर किसी मन्दिर में जौ दान करें.
4. गंदी नाली या नहर में 43 दिनों तक नीले फूल फेंकें.
कुंडली के आठवें भाव में शुक्र
जातक की कुंडली के आठवें भाव में शुक्र का होना जातक के लिए शुभ नहीं माना जाता और नाही किसी और ग्रह के लिए यह घर शुभ माना जाता है. ऐसे जातक की पत्नी गुस्सैल और अत्यधिक चिड़चिडी हो जाती है. उसके मुंह से निकली बुरी बातें निश्चित रूप से सच साबित होती हैं. जातक स्वयं की सहानुभूति से पीडित हो जाएगा. किसी की गारंटी या जमानत लेना विनाशकारी साबित होगा. यदि दूसरे भाव में कोई ग्रह न हो तो 25 साल से पहले शादी न करें अन्यथा पत्नी मर जाएगी.
उपाय :
1. कोई भी वस्तु दान के रूप में स्वीकार न करें.
2. नियमित रूप से मन्दिर जाएं और पूजा स्थलों तथा मंदिरों में सिर झुकाएं.
3. तांबे के सिक्के या नीले फूल लगातार दस दिनों तक गटर या गंदे नाले में फेंकें
कुंडली के नौवें भाव में शुक्र
जिस जातक की कुंडली के नौवें घर में शुक्र अच्छे परिणाम नहीं देता. जातक धनवान हो सकता है लेकिन अपनी रोटी के लिए उसे काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. उसे अपने प्रयासों का उचित पुरस्कार नहीं मिलेगा. ऐसे जातक के घर में पुरुष सदस्यों, पैसा, धन और संपत्ति की कमी हो जाएगी. यदि शुक्र बुध या किसी अशुभ ग्रह के साथ है तो जातक सत्रह साल की उम्र से नशे और किसी रोग का शिकार हो जाएगा.
उपाय :
1. घर की नींव चांदी और शहद दबाएं.
2. पत्नी (या स्त्री है तो स्वयं) लाल चूड़ियाँ पहनें जिनमें चांदी की धारियां हों अथवा चांदी की चूड़ियां जिन पर लाल रंग की डिजाइनिंग हो.
3. किसी नीम के पेड़ के नीचे 43 दिनों के लिए चांदी का टुकड़ा दबा कर रखें.
कुंडली के दसवें भाव में शुक्र
जातक की कुंडली के दसवें भाव में अगर शुक्र हो तो यह जातक को लालची, संदिग्ध और हस्तकला में रुचि लेने वाला बनाता है. जातक अपनी पत्नी के मार्गदर्शन के तहत कार्य करेगा. ऐसी दशा में जब तक पत्नी जातक के साथ होगी हर मुसीबत जातक से दूर रहेगी. कोई मोटर कार दुर्घटना या अन्य कोई नुकसान नहीं होगा. शनि से जुड़े व्यापार और चीजें फायदेमंद साबित होंगी.
उपाय :
1. घर की पश्चिमी दीवार मिट्टी की होनी चाहिए.
2. शराब, अण्डा और मांसाहारी भोजन न करें.
3. बीमार होने की दशा में काले रंग की गाय का दान करना चाहिए.
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र
कुंडली के ग्यारहवें भाव में जो शुक्र होता है वह शनि और बृहस्पति से प्रभावित होता है, क्योंकि यह घर बृहस्पति और शनि के अंतर्गत आता है. यह घर तीसरे भाव से देखा जाता है जो कि मंगल और बुध का घर है. जातक की पत्नी अपने भाई के माध्यम से, बहुत फायदेमंद साबित होगी.
उपाय :
1. बुध की शांति का उपाय उपयोगी रहेगा.
2. शनिवार को गरीबों और ब्राह्मणों को तेल का दान करें.
3. जातक को दूध में सोने के गरम टुकडे को बुझाकर दूध पीना चाहिए.
कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र
कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र बहुत लाभकारी परिणाम देता है. जातक के पास ऐसी पत्नी होगी जो मुसीबत के समय में किसी ढाल की तरह कार्य करेगी. महिलाओं से मदद लेना जातक के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा. शुक्र की बृहस्पति से शत्रुता के कारण पत्नी को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं. दूसरे या छठवें भाव में स्थित बुध जातक को रोगी बनाता है लेकिन जातक को साहित्यिक और काव्य प्रतिभा प्रदान करता है. ऐसा जातक 59 साल की उम्र में उच्च आध्यात्मिक शक्तियों प्राप्त करता है और 96 वर्षों तक जीवित रहता है.
उपाय :
1. पत्नी (स्त्री) नीला फूल या फल सूर्यास्त (शाम) के समय किसी सुनसान जगह पर खोद कर दबाए.
2. पत्नी द्वारा दूसरों को दान देना वह पति के लिए किसी रक्षा की दीवार की तरह काम करेगी.
3. गाय पालें और दान भी करें.
4. पत्नी को प्यार, इज्जत और सम्मान दें.

