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वसंत पंचमी : बुद्धि, प्रज्ञा व मनोवृत्तियों की संरक्षिका मां शारदे

श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य जि स तरह मनुष्य के जीवन में यौवन आता है, उसी प्रकार वसंत इस सृष्टि का यौवन है इसलिए वसंत ऋतु को सृष्टि का यौवन कहा जाता है. भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में स्वयं को ‘ऋतूनाम् कुसुमाकर:’ कहा है. कृष्ण यह कहकर वसंत ऋतु को ऋतुराज कह जाते हैं कि ‘मैं […]

श्रीपति त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य
जि स तरह मनुष्य के जीवन में यौवन आता है, उसी प्रकार वसंत इस सृष्टि का यौवन है इसलिए वसंत ऋतु को सृष्टि का यौवन कहा जाता है. भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में स्वयं को ‘ऋतूनाम् कुसुमाकर:’ कहा है. कृष्ण यह कहकर वसंत ऋतु को ऋतुराज कह जाते हैं कि ‘मैं ऋतुओं में वसंत हूं’. सरस्वती को वागीश्वरी, वाग्देवी, भगवती, शारदा, वीणावादनी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है. ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं.
संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं. वसंत पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं. ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है- ‘प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु’ अर्थात् ये परम चेतना हैं. सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं. हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं.
देवी भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जायेगी. इस वरदान के फलस्वरूप वसंत पंचमी के दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है. देश के कई हिस्सों में इस दिन बच्‍चे को प्रथमाक्षर यानी पहला शब्‍द लिखना सिखाया जाता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गयी है इसलिए उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथोंवाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई. उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा. जैसे ही वीणा बजी ब्रह्मा जी की पूरी सृष्टि में स्वर आ गयी. तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया. यह दिन बसंत पंचमी का था.
इस बार वसंत पंचमी पर सर्वार्थसिद्धि योग
इस साल वसंत पंचमी 30 जनवरी को है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह पर्व मनाया जायेगा. वसंत पंचमी के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र पड़ रहा है. पंचमी गुरुवार के दिन सुबह 10.27 बजे तक है. वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों व अन्य शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन विवाह के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे. वर्षों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस बार वसंत पंचमी को और खास बना रही है.
इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे. मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे. विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है. पंचमी अबूझ मुहूर्तवाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरुवार और उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा. इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा. दोनों योग रहने से वसंत पंचमी की शुभता में और अधिक वृद्धि होगी.

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