28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वासंतिक नवरात्र पांचवां दिन, ऐसे करें दुर्गादेवी स्कंदमाता को प्रसन्‍न

जो नित्य सिंहासन पर विराजमान रहती हैं तथा जिनके दोनों हाथ कमलों से सुशोभित होते हैं, वे यशस्विनी दुर्गादेवी स्कंदमाता सदा कल्याणदायिनी हों त्वं देवि जननी परा—5 श्रीदुर्गा सप्तशती में देवी माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है- देवी ने इस विश्व को उत्पन्न किया है और वही जब प्रसन्न होती हैं, तब मनुष्यों […]

जो नित्य सिंहासन पर विराजमान रहती हैं तथा जिनके दोनों हाथ कमलों से सुशोभित होते हैं, वे यशस्विनी दुर्गादेवी स्कंदमाता सदा कल्याणदायिनी हों
त्वं देवि जननी परा—5
श्रीदुर्गा सप्तशती में देवी माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है- देवी ने इस विश्व को उत्पन्न किया है और वही जब प्रसन्न होती हैं, तब मनुष्यों को मोक्ष प्रदान करती हैं. मोक्ष की सर्वोत्तम हेतु वे ही हैं, वे ही ईश्वर की अधिश्वरी हैं.
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते- उस ब्रह्मरूप चेतनशक्ति के दो स्वरूप हैं- एक निर्गुण और दूसरा सगुण. सगुण के भी दो भेद हैं- एक निराकार और दूसरा साकार. इसी से सारे संसार की उत्पत्ति होती है. उपनिषदों में इसी को पराशक्ति के नाम से कहा गया है.
तस्या एव ब्रह्मा अजीजनत्। विष्णुरजीजनत्। रूद्रोरजीनत्। सर्वे मरूदगणा अजीजनन्। गन्धर्वाप्सरसः किन्नरा वादित्रवादिनः समन्ताद-जीजनम्। भोग्यमजीजनत्। सर्वमजीजनत्। सर्व शाक्तमजीजनत्। अण्डजं स्वदेजमुद्रिज्जं जरायुजं यत्किच्चैतत्प्राणिस्थावरजगंमं मनुष्यमजीजनत्। सैषा पराशक्तिः।
उस पराशक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र उत्पन्न हुए. उसी से सब मरूगण, गंधर्व, अप्सराएं और बाजा बजानेवाले किन्नर लब और से उत्पन्न हुए. समस्त भोग्य पदार्थ और अंडज, स्वेदज, उद्भिज्ज, जरायुज जो कुछ भी स्थावर, जंगम, मनुष्यादि प्राणिमात्र उसी पराशक्ति से उत्पन्न हुए. ब्रह्मसूत्र में भी कहा है- सर्वोंपेता तद् दर्शनात्। – वह पराशक्ति सर्व सामर्थ्य से युक्त है, क्योंकि यह प्रत्यक्ष देखा जाता है. इसलिए महाशक्ति दुर्गा के नाम से भी ब्रह्म की उपासना की जा सकती.
(क्रमशः) प्रस्तुतिः डॉ एनके बेरा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें