23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महालया : पितर अपने परिवार को सुख-शांति व समृद्धि का आशीर्वाद दे चले जाते हैं स्वर्ग लोक

मो दुर्गा दुर्गति नाशिनी… अर्थात, जो दुर्गति का नाश करती हैं, वही आद्याशक्ति मां दुर्गा हैं. जागो दुर्गा, जागो दशोप्रहर धारिणी मां…जागो… तुमि जागो… जागो चिन्मयी जागो मृन्मयी, तुमि जागो मां… इस प्रकार मां दुर्गा के आगमनी संगीत से आद्याशक्ति दुर्गा मां का बोधन प्रारंभ होता है. मां दुर्गा का आगमनी संगीत के स्वर कानों […]

मो दुर्गा दुर्गति नाशिनी… अर्थात, जो दुर्गति का नाश करती हैं, वही आद्याशक्ति मां दुर्गा हैं. जागो दुर्गा, जागो दशोप्रहर धारिणी मां…जागो… तुमि जागो… जागो चिन्मयी जागो मृन्मयी, तुमि जागो मां… इस प्रकार मां दुर्गा के आगमनी संगीत से आद्याशक्ति दुर्गा मां का बोधन प्रारंभ होता है. मां दुर्गा का आगमनी संगीत के स्वर कानों में पड़ते ही सारा संसार भक्तिमय एवं आलोकित हो उठता है.

महालया के दिन से देवी पक्ष प्रारंभ होता है और उसी दिन से मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है. महालया का शाब्दिक का अर्थ होता है- ‘आनंद निकेतन’. पौराणिक मान्यता है कि महालया के दिन पितर अपने पुत्रादि से पिंडदान व तिलांजलि को प्राप्त कर अपने पुत्र व परिवार को सुख-शांति व समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान कर स्वर्ग लोक चले जाते हैं. इस तरह महालया के दिन 14 दिनों से चल रहे पितृपक्ष का समापन होता है इसी दिन से देवी-देवताओं की पूजा शुरू हो जाती है.

पौराणिक कथानुसार, असुर महिषासुर ने घोर तपस्या कर ब्रहृम देव से वर प्राप्त किया था कि उसकी मृत्यु हो, तो किसी स्त्री के हाथों ही हो. उसे विश्वास था कि निर्बल स्त्री उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. जब महिषासुर के उत्पात से सारा जग त्राहि-त्राहि कर उठा, तब सभी देवों ने मिलकर अपनी-अपनी शक्ति का अंश देकर देवी के रूप में एक महाशक्ति का निर्माण किया. नौ दिन और नौ रात के घमासान युद्ध के बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और वह ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहलायीं. खास है कि महालया के दिन ही मां दुर्गा की अधूरी गढ़ी हुई प्रतिमा पर आंखें बनायी जाती हैं, जिसे ‘चक्षु-दान’ कहते हैं. कहते हैं कि हर साल मां दुर्गा अपने पति भगवान शिव को कैलाश में छोड़ अपने बच्चों गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी और सरस्वती संग दस दिनों के लिए पीहर आती हैं.
आश्विन माह शरद काल का समय होता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्र भी कहते हैं. दुर्गाशप्तशती के अनुसार, ‘शरदकाले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी ‘ अर्थात शरद काल में यह दुर्गा पूजा होने के कारण यह महापूजा कहलाती है. शारदीय नवरात्र में अपराजिता, केतकी एवं कमल पुष्प चढ़ाकर मां को प्रसन्न किया जाता है. कहते हैं अपराजिता के पुष्प से मां का पूजन करने से शत्रु का विनाश होता है.
-विनीता चैल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें