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Shardiya Navratri 2023: कलश स्थापना के साथ दुर्गा पूजा शुरू, जानें किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा

इस बार वाराणसी व मिथिला पंचांग के अनुसार, माता का आगमन हाथी पर हो रहा है. इसका फल शुभ है.वहीं, वाराणसी पंचांग के अनुसार, माता का गमन भैसा पर हो रहा है, जो शुभ नहीं है. मिथिला पंचांग के अनुसार, मां का गमन चरणायुद्ध (मुर्गा ) पर हो रहा है, जिसका फल शुभ नहीं है.

Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है. इसको लेकर घरों से लेकर मंदिरों तक में विशेष तैयारी की गयी है. लोगों ने पूजा घरों की सफाई कर मंदिरों को सजाया है. रविवार को रात के 11.52 बजे तक प्रतिपदा है. इस कारण भक्तों को कलश स्थापना के लिए पर्याप्त समय मिल रहा है. वहीं, रात 6.43 बजे तक चित्रा नक्षत्र व दिन के 11.55 बजे तक वैधृति योग मिल रहा है. दिन के 11.38 से 12.23 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है. अभिजीत मुहूर्त या दिन के 11.55 बजे के बाद कलश स्थापना करने के लिए उत्तम समय माना गया है.

हाथी पर हो रहा मां का आगमन

इस बार वाराणसी व मिथिला पंचांग के अनुसार, माता का आगमन हाथी पर हो रहा है. इसका फल शुभ है.वहीं, वाराणसी पंचांग के अनुसार, माता का गमन भैसा पर हो रहा है, जो शुभ नहीं है. मिथिला पंचांग के अनुसार, मां का गमन चरणायुद्ध (मुर्गा ) पर हो रहा है, जिसका फल शुभ नहीं है. मिथिला पंचांग के अनुसार, प्रात:काल सूर्योदय के बाद से ही कलश स्थापना शुरू हो जायेगी. दिन के 10.30 से 1.30 बजे को छोड़ कर इससे पहले अथवा उसके बाद कलश स्थापना की जा सकती है. ऐसे देवी की पूजा के लिए प्रात:काल का समय सबसे उपयुक्त है.

घरों में कलश स्थापित करेंगे भक्त

नवरात्र में कई भक्त घरों में कलश बैठाकर मां की आराधना करेंगे. वहीं, कई भक्त बिना कलश के भी मां की आराधना करेंगे. कोई उपवास रखकर तो कोई सात्विक भोजन कर देवी की आराधना करेंगे.

किस दिन कौन सी तिथि

  • 16 को द्वितीया

  • 17 को तृतीया

  • 18 को चतुर्थी

  • 19 को पंचमी

  • 20 को षष्ठी

  • 21 को महासप्तमी

  • 22 को महाअष्टमी

  • 23 को महानवमी

  • 24 को विजयादशमी है

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किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा

  • 15 को शैलपुत्री

  • 16 को ब्रह्मचारिणी

  • 17 को चंद्रघंटा

  • 18 को कुष्मांडा

  • 19 को स्कंदमाता

  • 20 को कात्यायनी

  • 21 कालरात्रि

  • 22 को महागौरी

  • 23 को मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी

मां को पहले दिन क्या अर्पित करें

गाय का घी, सुगंधित तेल, कंघी व सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री. मां को अडहूल, गुलाब, अपराजिता (शंखपुष्पी), कमल, हरसिंगार सहित अन्य फूल चढ़ायें.

जैप वन में सैनिक सम्मान के साथ होगी कलश स्थापना

जैप वन स्थित दुर्गा मंदिर में सैनिक सम्मान के साथ कलश स्थापना किया गया. इस दौरान फायरिंग कर मां को सलामी दी गई. यहां 50 से अधिक महिलाएं व्यक्तिगत कलश स्थापित कर नव दुर्गा का पाठ की. वहीं, यहां 50 किलो जौ, मकई, गेहूं व धान (27 किलो) के अलावा चना, उड़द व काला तिल (तीन किलो 750 ग्राम) का रोपण किया गया. पंडित सहदेव उपाध्याय पूजा करायेंगे. इसमें जैप के समादेष्टा सहित अन्य शामिल हुए.

प्राचीन श्रीराम मंदिर चुटिया में 351 कुंवारी कन्याएं सस्वर रामायण पाठ करेंगी

यहां 351 कुंवारी कन्याएं सस्वर रामायण पाठ सह नव दुर्गा पूजन करेंगी. इसका शुभारंभ सुबह 9:30 बजे से होगा. वृंदावन से पधारे प्रमोद शास्त्री के सानिध्य में सस्वर रामायण पाठ होगा. यह 10 दिनों तक चलेगा. दशमी के दिन प्रात: नौ बजे शोभायात्रा निकलेगी. इसके बाद महा भंडारा होगा. आचार्य जनार्दन पांडेय के सानिध्य में कलश स्थापना होगी. संध्या में वृंदावन से आयीं कथावाचक साध्वी किंकरी देवी का प्रवचन होगा.

राधा कृष्ण मंदिर कृष्णा नगर कॉलोनी

मंदिर परिसर को विशेष तौर से सजाया गया. शनिवार को सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया गया. वहीं, रविवार को प्रातः सात बजे मां की पूजा व कलश स्थापना होगी. मां को अखंड ज्योत प्रज्वलित की जायेगी. दुर्गा स्तुति का सामूहिक पाठ आठ बजे से होगा. इसके अलावा अन्य मंदिरों में भी कलश स्थापना कर मां की आराधना की जायेगी.

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महिषासुर मर्दिनी से मां दुर्गा का आह्वान

दुर्गा बाड़ी में शनिवार को महालया पर सांस्कृतिक अनुष्ठान हुआ. दुर्गा बाड़ी के 141वें दुर्गोत्सव पर उदिति क्लासिकल एंड मॉडर्न डांस इंस्टीट्यूट रांची ने नृत्यनाटिका ”महिषासुर मर्दिनी” का मंचन किया. दुर्गाबाड़ी के सह सचिव श्वेतांक सेन ने कहा कि टीम 15 वर्षों से महालया पर प्रस्तुति देती आ रही है. इससे समाज में दुर्गोत्सव के आगमन का संदेश पहुंचता है. नृत्य नाटिका का मंचन कोरियोग्राफर रूपा डे की अगुवाई में हुआ. एसिस्टेंट कोरियोग्राफर शिप्रा श्रीवास्तव ने गुरु की महत्ता बतायी. इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी आदि मौजूद थे.

60 कलाकारों ने मां दुर्गा के शक्ति स्वरूप को जीवंत किया

नृत्य नाटिका ‘महिषासुर मर्दिनी’ की शुरुआत देवी वंदना से हुई. मंच पर 60 कलाकारों ने मां दुर्गा के शक्ति स्वरूप को जीवंत किया. मां शारदा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के रूप में प्रतिष्ठा पॉल, पूर्णिमा सांतरा, श्रेया चौधरी, प्रियदर्शनी, अरणी प्रसाद, कोंकणा, सुलता पॉल, झिलिक साव और नित्रा ने अपनी प्रस्तुति दी. वहीं, महिषासुर के रूप में टिंकू, रक्तबीज के रूप में गगन और भगवान शिव के रूप में नारायण ने अपनी प्रस्तुति दी.

बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश

मान्यता के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने दैत्य राज महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया. महिषासुर को वरदान मिला हुआ था कि कोई देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर पायेगा. वरदान पाकर महिषासुर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया. रक्षा के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की अराधना की. देवताओं के आह्वान पर देवी दुर्गा का धरावतरण हुआ. मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध कर 10वें दिन उसका वध कर दिया. नृत्य नाटिका से बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया गया.

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