30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Pitru Paksha 2020 : पितृ पक्ष शुरू, नयी पीढ़ी को लाता है पूर्वजों के करीब

Pitru Paksha 2020, pitru paksha 2020 start date : रांची : आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गयी है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के लिए श्राद्ध किया जाता है. ये नयी पीढ़ी को पूर्वजों व परिवार के करीब लाता है.

Pitru Paksha 2020, pitru paksha 2020 start date : रांची : आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गयी है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के लिए श्राद्ध किया जाता है. ये नयी पीढ़ी को पूर्वजों व परिवार के करीब लाता है.

श्राद्ध का अर्थ सिर्फ पूजा-पाठ या कर्मकांड नहीं है, बल्कि अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करना भी है. श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों को एक विशेष समय में 15 दिनों तक सम्मान दिया जाता है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान को सर्वोत्तम माना गया है. मौजूदा दौर में श्राद्ध का नाम आते ही अक्सर इसे अंधविश्वास से जोड़ दिया जाता है, लेकिन इसका सामाजिक पहलू भी है.

Also Read: Coronavirus In Jharkhand LIVE Update :
सीआइडी मुख्यालय के 13 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित, मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल कोरोना पॉजिटिव, झारखंड में कोरोना के कुल केस 43833

आज के दौर में समाज में एकल परिवार का चलन बढ़ गया है. गांव में बच्चे अब भी सामूहिक परिवार में पलते-बढ़ते हैं, लेकिन शहरों में रह रहे बच्चे माता-पिता के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों से काफी दूर रहते हैं. किसी कार्यक्रम में ही परिवार के सदस्य एक साथ मिलते हैं. ऐसे में परदादा, परदादी, परनाना या परनानी के बारे में बच्चे नहीं जान पाते हैं. पितृ पक्ष वह अवसर है, जिसके जरिये बच्चों को परिवार के सभी बुजुर्ग या पूर्वजों के बारे में जानने-समझने का मौका मिलता है.

Also Read: Coronavirus In Jharkhand : कोरोना का टीका आने के बाद ही झारखंड में खोले जाएं स्कूल, सर्वाधिक अभिभावकों ने दी ये राय

श्राद्ध कर्म व पिंडदान की प्रक्रिया में शामिल होकर बच्चे पूर्वजों के नाम, अपने वंश, परंपरा व संस्कृति को करीब से जान पाते हैं. इन 15 दिनों के दौरान दिवंगत आत्माओं को याद करते हुए बच्चों में भी पूर्वजों के प्रति सम्मान की भावना जागती है. वे भी परिवार को करीब से जान पाते हैं.

इस बार पितृ पक्ष दो सितंबर से शुरू हो गया और 17 सितंबर को समाप्त होगा. इसी दिन से नवरात्र शुरू होगा. इस बार नवरात्र 25 अक्टूबर तक है. 18 सितंबर से अधिक मास शुरू हो जायेगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा. 25 नवंबर को देवउठनी के दिन चतुर्मास समाप्त होगा. दिवंगत पिता का श्राद्ध अष्टमी और मां का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है. जिन पितरों की मृत्यु की तिथि मालूम न हो, अमावस्या पर उनका श्राद्ध करना चाहिए अकाल मृत्यु, दुर्घटना या आत्महत्या करनेवालों का श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है.

Also Read: मैडम जी के नाम से फेमस भाजपा पदाधिकारी निकली नक्सली कमान्डर

ज्योतिष डॉ नन्दन कुमार तिवारी कहते हैं कि हर व्यक्ति को पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म व तर्पण करना चाहिए. इस कर्म के जरिये नयी पीढ़ी को पूर्वजों व परिवार के मृत सदस्यों के बारे में जानने-समझने का मौका मिलता है. इससे बच्चों के दिल में बुजुर्गों व पूर्वजों के लिए श्रद्धा का भाव जागता है. बच्चे को वंश और संस्कृति का ज्ञान मिलता है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें