Shamsher Samman : शमशेर सम्मान मिलने के बाद वरिष्ठ साहित्यकार रवि भूषण ने कहा कि मैं क्या प्रतिक्रिया दूं, इस संबंध में मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. जिन लोगों ने यह सम्मान दिया है अगर वे इस बारे में कुछ कहना चाहते है, तो कहें, मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं. मैं तो यह चाहता हूं कि यह देश सुरक्षित रहे, समाज सुरक्षित रहे. समाज में जो अच्छी बातें हैं, वह बच जाएं.
शमशेर बहादुर सिंह की स्मृति में दिया जाता है शमशेर सम्मान
हिंदी के प्रख्यात कवि शमशेर बहादुर सिंह की स्मृति में दिए जाने वाले शमशेर सम्मान की घोषणा कर दी गई है. प्रति वर्ष दो साहित्यकारों को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है, लेकिन कोविड की वजह से यह पुरस्कार पिछले चार वर्ष से लंबित था, अब जाकर इसकी घोषणा हुई है. 2020 के बाद इस पुरस्कार की घोषणा नहीं हुई थी. इस वर्ष चार वर्ष के पुरस्कार की घोषणा हुई है. वर्ष 2021 का शमशेर सम्मान केरल के ए अरविंदाक्षन और झारखंड के रवि भूषण को दिए जाने की घोषणा हुई है, जबकि 2022 के लिए सवाई सिंह शेखावत और भरत प्रसाद, 2023 के लिए अषंगघोष और भालचंद्र जोशी और 2024 के लिए अनिल मिश्र और दुर्गा प्रसाद गुप्त को दिए जाने की घोषणा हुई है. शमशेर सम्मान साहित्य के क्षेत्र में लंबे समय तक योगदान देने के लिए किया जाता है.
आलोचनात्मक लेखन में है रवि भूषण की पहचान
साहित्यकार रवि भूषण का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ है.उनकी शिक्षा-दीक्षा बिहार में ही हुई. वे रांची विश्वविद्यालय के हिंदी के विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत रहने के बाद यहीं से सेवानिवृत्त हुए. वे समाज के ज्वलंत मुद्दों पर लगातार लेखन करते रहे हैं.उन्होंने हमेशा वर्तमान समाज को आधार बनाकर अपना लेखन किया. उनकी रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं. आलोचनात्मक लेखन के लिए उन्हें विशेष तौर पर जाना जाता है. ‘बुद्धिजीवियों की जिम्मेदारी’ उनकी काफी चर्चित किताब है.
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