29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

एक अंगुली से लिखा था प्यार तुमने !

आज हिंदी के सर्वाधिक चर्चित कवियों में से एक हरिवंश राय बच्चन की जयंती है. उनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था. आज उन्हें याद करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार ध्रुव गुप्त ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है, पढ़ें हरिवंश राय बच्चन को उनकी श्रद्धांजलि- खड़ीबोली हिंदी कविता के लगभग सौ बरस लंबे […]

आज हिंदी के सर्वाधिक चर्चित कवियों में से एक हरिवंश राय बच्चन की जयंती है. उनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था. आज उन्हें याद करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार ध्रुव गुप्त ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है, पढ़ें हरिवंश राय बच्चन को उनकी श्रद्धांजलि-

खड़ीबोली हिंदी कविता के लगभग सौ बरस लंबे परिदृश्य में हरिवंश राय बच्चन का रचना-संसार अपने पूर्ववर्ती और समकालीन कवियों से बिल्कुल अलग और अनूठा रहा है. उनकी कविता के प्रति जैसी दीवानगी थी लोगों में, वैसी दीवानगी फिर दुबारा कभी देखने को नहीं मिली. वे उन कवियों में अग्रणी थे, जिन्होंने प्रेम और मानवीय संबंधों को छायावादी वायवीयता और अमूर्तता से निकाल कर उन्हें देह और जमीन पर पांव धरने की जगह दी थी.

प्रेम के मिलन और विरह, जीवन के उत्सव और मस्ती, रिश्तों की गहराई और ऊंचाई के वे अप्रतिम गायक थे. उनकी कृतियों – ‘मधुशाला’ ‘मधुबाला’ और ‘मधुकलश’ और ‘निशा निमंत्रण’ ने उस दौर में एक समूची युवा पीढ़ी को जीवन का एक नया दर्शन दिया था – रूढ़ियों से मुक्ति और उन्मुक्तता का दर्शन. तत्कालीन कवि सम्मेलनों के वे सबसे लोकप्रिय चेहरा थे. अपनी परवर्ती रचनाओं में बच्चन जी ने प्रेम और मस्ती की दुनिया से निकल कर अपने समय से मुठभेड़ करने की कोशिश ज़रूर की, लेकिन यह बदलाव उनके स्वभाव से अलग था और शायद इसीलिए उनमें खुद उनका व्यक्तित्व अनुपस्थित दिखता है.

चार खंडों में प्रकाशित उनकी आत्मकथा- क्या भूलूं क्या याद करुं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक हिंदी साहित्य जगत की अमूल्य निधि है. स्व. हरिवंश राय बच्चन की जयंती (27 नवंबर) पर भावभीनी श्रद्धांजलि, उनके एक प्रेम-गीत की कुछ पंक्तियों के साथ !

मैं कल रात नहीं रोया था

दुख सब जीवन के विस्मृत कर,

तेरे वक्षस्थल पर सिर धर,

तेरी गोदी में चिड़िया के बच्चे-सा छिपकर सोया था

मैं कल रात नहीं रोया था

प्यार भरे उपवन में घूमा

फल खाए, फूलों को चूमा,

कल दुर्दिन का भार न अपने पंखो पर मैंने ढोया था

मैं कल रात नहीं रोया था

आंसू के दाने बरसाकर

किन आंखों ने तेरे उर पर

ऐसे सपनों के मधुवन का मधुमय बीज बता बोया था?

मैं कल रात नहीं रोया था…

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें