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बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में बढ़ेगी सख्ती, आंखों की जांच होगी अनिवार्य, देना होगा मेडिकल सर्टिफिकेट

वर्तमान में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने पहुंचे 40 से अधिक उम्र के लोगों से मेडिकल सर्टिफिकेट लेने का नियम है, लेकिन इसकी अंदेखी करते हुए राज्य भर में ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है. विभाग ने सभी जिलों को इस नियम का सख्ती से पालन करने का निर्देश भी दिया है.

प्रह्लाद कुमार, पटना. बिहरा में सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग यातायात व्यवस्था में लगातार बदलाव कर रही है.इसी कड़ी में विभाग बहुत जल्द ही ड्राइविंग लाइसेंस बनाते समय कामर्शियल या सामान्य वाहन चालकों का नेत्र जांच करायेगी. यानी इसे हर उम्र के लोगों के लिए अनिवार्य किया जायेगा.वर्तमान में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने पहुंचे 40 से अधिक उम्र के लोगों से मेडिकल सर्टिफिकेट लेने का नियम है, लेकिन इसकी अंदेखी करते हुए राज्य भर में ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है. विभाग ने सभी जिलों को इस नियम का सख्ती से पालन करने का निर्देश भी दिया है.

सरकारी चिकित्सकों से लेना होगा मेडिकल सर्टिफिकेट

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक 40 की उम्र के बाद ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूवल कराते समय मेडिकल प्रमाण पत्र सरकारी डॉक्टरों का मान्य होगा. इसको लेकर भी जल्द ही विभाग नियम में बदलाव करेगी. फिलहाल मेडकिल प्रमाण पत्र के नाम पर रिन्यूवल कराने वाले किसी भी चिकित्सक से लिखवा कर ले आते है या नहीं लाते है, तो भी दलाल के माध्यम से सब काम हो जाता है. इस कारण से विभाग ने यह निर्णय लिया है.

रात में अधिक होती है सड़क दुर्घटनाएं

राज्य में विभिन्न सड़कों पर शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती है. इसमें 37 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक शाम में सड़कों पर रोशनी कम रहने और साइनेज की कमी के कारण गाड़ी चलाने में लोगों को परेशानी होती है,ऐसे में जिनकी आंखों की रोशनी कम होती है.उन्हें सबसे अधिक दिक्कत होती है और वह अचानक से गाड़ी को सीधे-सीधे ठोक देते है.

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सड़क सुरक्षा के दौरान ट्रक, बस और बड़ी गाड़ी के ड्राइवरों की होती है जांच

परिवहन विभाग के निर्देश पर सड़क सुरक्षा के दौरान ट्रक, बस या किसी भी तरह की बड़ी गाड़ी चलाने वाले लोगों का नेत्र जांच शिविर लगाकर किया जाता है. हाल के दिनों में जांच के दौरान राज्य भर में लगभग दो प्रतिशत ऐसे लोग मिले, जिन्हें चश्मा की जरूरत थी और उन्हें पता तक नहीं था. इन्हें विभाग की ओर से चश्मा भी दिया गया और गाड़ी चलाते समय चश्मा पहनने का निर्देश भी दिया गया, ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सकें.

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