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Patna ISKCON Temple: भक्तों के लिए खोला गया राज्य का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर, 2010 में शुरू हुआ था निर्माण

Patna ISKCON Temple: लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस मंदिर के लिए वर्ष 2004 में मंदिर के लिए जमीन लिया गया. नक्शा पास होने के बाद 2010 में मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ था. तीन मंजिला इस मंदिर में 84 कमरे और 84 पिलर बनाये गये हैं.

Patna ISKCON Temple: राज्य का सबसे बड़ा श्रीराधा बांके बिहारी इस्कॉन मंदिर मंगलवार से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है. इस मंदिर को आस्था के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया जाना है. अक्षय तृतीया के अवसर पर इस्कॉन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तियों की स्थापना की गईं. इस मौके पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ. मंदिर के गर्भ गृह में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न किया गया.

मूर्तियों की स्थापना की गई

सुबह सबसे पहले आठ बजे मंदिर के गर्भ गृह में कीर्तन की शुरुआत हुई उसके बाद सुबह 9 बजे से 11 बजे के बीच यज्ञ का आयोजन किया गया. दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया. मंदिर में श्रीराधा बांके बिहारी, ललिता व विशाखा के साथ, राम दरबार में राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान, गौड़नीता दरबार में चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद महाप्रभु की मूर्तियों की स्थापना की गई.

दो एकड़ में फैला है मंदिर 

दो एकड़ क्षेत्र में फैले मंदिर को 100 करोड़ की लागत से बनाया गया है एवं इसकी ऊंचाई 108 फीट है. इसके गर्भगृह में एक साथ पांच हजार लोगों के दर्शन एवं पूजन करने की व्यवस्था है. मथुरा और गुजरात के बाद पटना देश का तीसरा मंदिर होगा, जिसमें 84 खंभा पुरातन तकनीक का प्रयोग किया गया है. पूरे इस्कॉन मंदिर का निर्माण ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के वंशजों द्वारा किया गया है. तो वहीं मंदिर में लगाया गया संगमरमर विश्व प्रसिद्ध उसी मरकाना का है, जिससे ताजमहल बने है.

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इस्कॉन के छोटे मंदिरों की स्थापना 

इस्कॉन नेशनल कम्युनिकेशन के अध्यक्ष सह इस्कॉन नई दिल्ली के उपाध्यक्ष व्रजेन्द्र नंदन दास ने कहा की पटना में इस्कॉन मंदिर के उद्घाटन के बाद संगठन बिहार के प्रत्येक जिले में इस्कॉन के छोटे मंदिरों की स्थापना करना चाह रहा है. पटना के इस्कॉन मंदिर की देखरेख में इन योजनाओं को धरातल पर उतारा जाएगा. उन्होंने कहा कि गांवों के लिए संगठन का ग्रामीण मंत्रालय और राज्य के जनजातीय क्षेत्रों के लिए संगठन का जनजातीय मंत्रालय काम करेगा.

इस्कॉन के प्रचार-प्रसार की व्यापक संभावना

बिहार में इस्कॉन के प्रचार-प्रसार की व्यापक संभावना है. उन्होंने यह भी कहा कि जब इस्कॉन में वह पहली बार आए थे तो उनके गुरु ने अपने प्रवचन में कहा कि जब नौकरी करना ही है तो दास का क्यों किया जाए प्रभु की ही चाकरी क्यों नहीं करते. उनके इस बात के बाद मैंने 13 अगस्त 1984 में इस्कॉन से नाता जोड़ा और उसके बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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