Cancer Cases In India : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) का यह अध्ययन चिंतित करने वाला है कि देश में हर पांच में से तीन लोग कैंसर के उपचार के बाद दम तोड़ देते हैं. जबकि अमेरिका में उपचार के बाद दम तोड़ने वाले हर चार में एक और चीन में हर दो में एक है. कैंसर से जुड़े इस आंकड़े को अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका ‘द लांसेट रीजनल हेल्थ, साउथ एशिया’ ने प्रकाशित किया है. यह अध्ययन बताता है कि पूरी दुनिया में कैंसर से जितनी मौत होती है, उनमें से 10 प्रतिशत से भी अधिक भारत में होती हैं.
कैंसर से देश में समय से पहले होने वाली मौतों का आंकड़ा 2000 में 4.9 लाख था. पर 2022 में यह आंकड़ा 87 प्रतिशत बढ़कर 9.17 लाख हो चुका है. ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी की रिपोर्ट की मदद से तैयार इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने पाया है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत तेजी से बढ़ रही है, जो सालाना 1.2 से चार फीसदी के बीच है. देश में पांच तरह के कैंसर, जो पुरुष और महिलाओं, दोनों को प्रभावित करते हैं और जो कुल कैंसर के 44 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.
महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन कैंसर की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, तो पुरुषों में मुख कैंसर के मामले सबसे अधिक हैं. शोधकर्ताओं ने विभिन्न आयु समूहों में कैंसर के प्रसार में भी बदलाव पाया. वृद्धावस्था आयु समूह में कैंसर का सबसे अधिक बोझ देखा गया. 15 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में कैंसर के मामले दूसरे सबसे अधिक पाये गये और कैंसर से होने वाली मौतों का 20 प्रतिशत इसी आयु वर्ग में देखा गया. देश में कैंसर से होने वाली मौतों की उच्च दर के कई कारण हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है देर से उपचार शुरू होना.
शोधकर्ताओं का यह भी आकलन है कि आने वाले दो दशकों में भारत के लिए कैंसर से होने वाली मौतों का प्रबंधन करना कठिन होगा, क्योंकि बड़ी आबादी की उम्र बढ़ने से कैंसर और उससे होने वाली मौत के आंकड़े भी बढ़ेंगे. जबकि कैंसर पर शोध करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी (आइएआरसी) का अनुमान है कि 2050 तक भारत में स्तन कैंसर के नये मामलों के साथ-साथ मौत के आंकड़े में भी भारी वृद्धि होगी. उम्मीद करनी चाहिए कि इस रिपोर्ट के बाद देश में कैंसर के खिलाफ उपचार और अनुसंधान जोर पकड़ेगा.