-पीके जोशी-
(सेंटर फॉर स्पेस साइंस एंड टेक्नोलोजी एजूकेशन इन एशिया एंड पैसिफिक से संबद्ध रहे हैं
[email protected])
Vikram-1 : प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में स्काईरूट एयरोस्पेस के पहले ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-1 का अनावरण सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, यह भारत की उस अडिग उड़ान का प्रतीक बन गया है, जहां देश अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में तेजी से वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है. विक्रम-1, जिसका नाम भारत के महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ विक्रम साराभाई के सम्मान में रखा गया है, आत्मनिर्भर भारत की मूल भावना, विकसित भारत, 2047 के लक्ष्य और विश्व गुरु बनने की भारतीय आकांक्षा का सम्मिलित प्रतीक है.
भारत की अंतरिक्ष यात्रा हमेशा संघर्ष और संकल्प की कहानी रही है. वर्ष 1963 में केरल के थुंबा में एक चर्च के छोटे से परिसर से भारत ने अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया था. साधन सीमित थे, पर हौसला अपार था. वैज्ञानिक साइकिलों पर रॉकेट के हिस्से ढोते थे, हाथों से लॉन्च पैड तैयार करते थे और एक-एक प्रयोग को अपनी मेहनत और धैर्य से सफल बनाते थे. इन्ही शुरुआती प्रयासों ने इसरो जैसी संस्था को जन्म दिया. समय के साथ भारत की उपलब्धियां दुनिया को चौंकाने लगीं. इनसैट (आइएनएसएटी) और आइआरएस जैसे उपग्रहों ने संचार, मौसम विज्ञान और संसाधन मानचित्रण की दिशा बदल दी.
चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज कर इतिहास रच दिया. मंगलयान मिशन ने भारत को वह अनोखा स्थान दिया जहां कोई भी देश पहली कोशिश में नहीं पहुंच पाया था. और 2023 में जब चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक लैंडिंग की, तो भारत न केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल कर रहा था, बल्कि दुनिया को अपने तकनीकी परिपक्वता का संदेश भी दे रहा था. अब इस विकास यात्रा में एक और नया अध्याय जुड़ चुका है- निजी अंतरिक्ष कंपनियों का.
स्काईरूट एयरोस्पेस, अग्निकुल कॉसमॉस और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस जैसी स्टार्टअप कंपनियां भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नयी ऊर्जा, नयी गति और नयी संभावनाएं ला रही हैं. विक्रम-1 इसी परिवर्तन का सशक्त उदाहरण है. भारत का पहला निजी ऑर्बिटल क्लास रॉकेट होने के नाते यह मात्र एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, ऐतिहासिक बदलाव है, जो दिखाता है कि भारतीय युवाओं और भारतीय नवाचार में वह क्षमता है, जो दुनिया के बड़े देशों को चुनौती दे सकती है.
विकसित भारत, 2047 के संकल्प में अंतरिक्ष विज्ञान की भूमिका निर्णायक होने वाली है. भविष्य में उन्नत उपग्रह भारत को मौसम पूर्वानुमान, कृषि सुधार, जल प्रबंधन और आपदा चेतावनी में दुनिया के अग्रणी देशों में ला खड़ा करेंगे. मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान भारत को अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने की दिशा में आगे ले जायेगा. शुक्रयान जैसे मिशन और क्षुद्रग्रहों के अध्ययन जैसे अभियान भारत को गहरे अंतरिक्ष अनुसंधान में नयी पहचान देंगे. निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका इस यात्रा को और तेज करेंगी- वे नये रॉकेट बनायेंगी, सस्ते और विश्वसनीय लॉन्च समाधान तैयार करेंगी, और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं का एक विशाल बाजार भारत में विकसित करेंगी.
भारत का अंतरिक्ष दृष्टिकोण केवल तकनीकी नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक भी है. भारत हमेशा ज्ञान को साझा करने और मानवता को ऊपर उठाने में विश्वास रखता आया है. यही कारण है कि भारत ने तीस से अधिक देशों के उपग्रह लॉन्च किये हैं और विकासशील देशों को सैटेलाइट आधारित संचार, जलवायु सूचना और आपदा प्रबंधन में सहायता प्रदान की है. भारत जब वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, तो उसका लक्ष्य किसी पर प्रभुत्व जमाना नहीं, बल्कि पूरी मानवता को आगे ले जाना है. आत्मनिर्भर भारत का वास्तविक अर्थ केवल घरेलू निर्माण नहीं, तकनीकी स्वतंत्रता, बौद्धिक क्षमता व वैश्विक नेतृत्व है.
इस नये अंतरिक्ष युग का सबसे उत्साहजनक पहलू है देश के युवाओं की भूमिका. विक्रम-1 जैसे प्रोजेक्ट यह संदेश देते हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान अब कुछ चुनिंदा लोगों तक सीमित नहीं है. आज युवा एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम संचार, अंतरिक्ष सामग्री विज्ञान और स्पेस मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में काम कर सकते हैं. स्टार्टअप संस्कृति उन्हें स्वयं तकनीक विकसित करने का मौका दे रही है. अंतरिक्ष तकनीक का प्रभाव आज देश के हर क्षेत्र में दिखाई देता है. कृषि में उपग्रह आधारित जानकारी से फसल की सेहत, सिंचाई और कीट नियंत्रण पर बेहतर निर्णय लिये जा सकते हैं.
दूर-दराज के क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन से लोगों को विशेषज्ञ इलाज मिल सकता है. सैटेलाइट इंटरनेट से हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करायी जा सकती है. पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन पर निगरानी और राष्ट्रीय सुरक्षा- सभी क्षेत्रों में अंतरिक्ष आधारित तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी. विक्रम-1 मात्र एक रॉकेट नहीं, भारत की ऊंची उड़ान का प्रतीक है- एक ऐसा हस्ताक्षर कि आत्मविश्वास, वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रीय संकल्प के साथ भारत किसी भी सीमा को पार कर सकता है. विक्रम-1 यह घोषणा करता है कि भारत अब सिर्फ आकाश की ओर देखने वाला देश नहीं, उसे परिभाषित करने वाला राष्ट्र बन चुका है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

