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अमेरिका में दूसरी लहर की चिंता

कोरोना के दूसरे दौर को अगर वैक्सीन से नियंत्रित नहीं किया जा सका, तो आनेवाला समय बहुत भयावह होनेवाला है. इस आशंका से सभी चिंतित हैं.

अनेक देशों की तरह अमेरिका भी महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है. उसके पास फिलहाल इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए एकमात्र योजना यही है कि जल्द से जल्द सभी लोगों को वैक्सीन की खुराक दे दी जाये. अमेरिका में टीकाकरण अभियान में पिछले दो महीनों में तेजी आयी है और अब स्थिति यह है कि एक-तिहाई से अधिक लोग वैक्सीन ले चुके हैं और अप्रैल के महीने में आम वयस्कों के लिए भी टीकाकरण की सुविधा शुरू हो गयी है.

इस बीच अप्रैल के पहले हफ्ते में अमेरिका में कोरोना संक्रमण के साठ हजार से अधिक मामले हर दिन देखे गये हैं और रोजाना तीन सौ से लेकर चार सौ तक मौतें हो रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों ने वैक्सीन की उपलब्धता होने के बाद अचानक घरों से बाहर निकलना शुरू कर दिया है और मास्क पहनने समेत विभिन्न निर्देशों के पालन में भी लापरवाही बरती जा रही है.

यह बात बहुत हद तक सही भी है कि पिछले कुछ हफ्तों में जैसे ही मौसम खुशगवार हुआ है, अमेरिका में लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर आ गये हैं. सप्ताहांत के दिन जहां लोग घरों में दुबके रहते थे और खाना बाहर से मंगवा लिया करते थे, वहीं पिछले दो सप्ताहांतों में लोग बड़ी संख्या में घरों से निकले और बाहर घूमते हुए देखे गये हैं. आम लोगों का मानना है कि जल्दी ही आबादी के बड़े हिस्से को वैक्सीन लग जानेवाला है और सामुदायिक (हर्ड) इम्युनिटी विकसित हो जायेगी,

लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने का नुकसान मरीजों की बढ़ती संख्या के रूप में देखा जा सकता है. कुछ मामले ऐसे भी सामने आये हैं, जहां वैक्सीन लेने के तीन या चार दिन बाद कोरोना का संक्रमण हुआ है. चिकित्सकों की सलाह यही है कि जब तक वैक्सीन की दोनों खुराक न ले ली जाये, तब तक मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और परिचितों से ही मिलने के पुराने नियमों को लोग मानें, लेकिन महामारी की वजह से एक साल से अपने घरों में बैठे लोग अब ऊब से गये हैं.

पिछले साल की तुलना में फिलहाल अमेरिका में स्थिति भयावह नहीं है. केवल मिशिगन राज्य ही रेड जोन में है और बाकी पूरे देश में कोरोना का खतरा रेड जोन से नीचे बताया जा रहा है. लेकिन अगले कुछ दिनों में संक्रमण बढ़ने की आशंका भी कुछ चिकित्सक जता रहे हैं. यह चिंता की बात है. अमेरिकी प्रशासन के सामने अब यह मुश्किल है कि लोगों को घरों में बंद रहने के लिए कैसे कहा जाये क्योंकि ऐसा करते हुए लंबा समय बीत चुका है.

इस स्थिति में सरकार का पूरा ध्यान टीकाकरण पर ही है. अमेरिका में फाइजर और मॉडेरना के अलावा जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन भी अब उपलब्ध है. जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का फायदा यह है कि यह सिर्फ एक खुराक में ही कारगर साबित हो रहा है. साथ ही, इस कंपनी के बारे में कहा जा रहा है कि उसके पास तेजी से और बड़ी मात्रा में वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता है.

अमेरिका में वैक्सीन को लेकर एक तरह का भरोसा तो लोगों में है, लेकिन एक तबका यहां भी ऐसा है, जो वैक्सीन के खिलाफ है. इसके पीछे दो तरह की समझ काम कर रही है. वैक्सीन का विरोध कर रहे गरीब काले डरे हुए हैं कि वैक्सीन पक्का नहीं है और यह एक तरह से काले लोगों पर गलत प्रयोग किये जाने का मामला हो सकता है.

काले समुदाय के पास ऐसा मानने के पर्याप्त कारण हैं. तीस-चालीस साल पहले ऐसा हो चुका है, जब कुछ दवाइयों का प्रयोग सिर्फ काले लोगों पर किया गया था. इस तरह की गलतफहमियों को दूर करने के लिए काले समुदाय के बड़े नेता, मसलन पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टीवी पर सार्वजनिक रूप से वैक्सीन लिया है. इससे भरोसा बहाल करने में मदद मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है.

दूसरा समुदाय है गरीब गोरे लोगों का, जो डेमोक्रेट सरकार के हर कदम में षड्यंत्र देख रहे हैं. धर्म के नाम पर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को हथियार बनाकर वे वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं. इन लोगों को समझाने के लिए अभियान तो चलाये जा रहे हैं, लेकिन सरकार का यह भी मानना है कि किसी के साथ जबरदस्ती करना मुश्किल है. ऐसे में विभिन्न संस्थानों ने लगभग यह तय कर लिया है कि बिना वैक्सीन के लोगों को काम पर लौटने नहीं दिया जायेगा.

इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन हालात उसी ओर अग्रसर हैं. जिस प्रकार से इस समय आप किसी भी दुकान, पुस्तकालय, रेस्तरां या संग्रहालय में बिना मास्क पहने नहीं जा सकते हैं, उसी तरह यह हो सकता है कि भविष्य में घरेलू यात्रा करने के लिए तथा नौकरियों पर वापस लौटने के लिए वैक्सीन लगवाने का सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया जाये.

फिलहाल सरकार की कोशिश यही है कि जितनी जल्दी हो, ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा दिया जाये. इस जल्दबाजी की एक वजह यह भी है कि चार जुलाई यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन अमेरिका में हर आदमी घर से बाहर निकलता है. बड़े पैमाने पर आतिशबाजी होती है और लोग सड़कों पर और पार्कों में खुशियां मनाते हैं.

इस अवसर पर बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं. पिछले वर्ष कोरोना महामारी के पहले चरण के दौरान भी बड़ी भीड़ जुटी थी कुछ जगहों पर. जाहिर है, इस बार भी ऐसा होगा, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए एक गंभीर चुनौती है. राष्ट्रपति बाइडेन चाहते हैं कि जुलाई से पहले अस्सी फीसदी आबादी को वैक्सीन लग जाये.

यही कारण है कि हम जैसे लोगों को भी, जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, टीका लगा दिया जा रहा है. वैक्सीन लगवाने के लिए न तो किसी बीमा की जरूरत है और न ही किसी और दस्तावेज की. किसी भी तरह के पहचान पत्र (आइ-कार्ड) के आधार पर वैक्सीन लगाया जा रहा है. यह टीकाकरण पूरी तरह निशुल्क है. यहां तक कि निजी डिस्पेंसरियां भी लोगों को मुफ्त में ही वैक्सीन लगा रही हैं.

कोरोना के दूसरे दौर को अगर वैक्सीन से नियंत्रित नहीं किया जा सका, तो आने वाला समय बहुत भयावह होनेवाला है. इस आशंका से सभी लोग चिंतित हैं. अमेरिकी अर्थव्यवस्था बहुत धीरे-धीरे ही सही, पटरी पर आती दिख रही है. अभी भी सरकार की ओर से लोगों को नगद पैसा दिया जा रहा है, लेकिन अगर कोविड-19 के नये स्ट्रेन से फिर से कोरोना महामारी फैली, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था खतरे में आ सकती है. इस लिहाज से अगले कुछ हफ्ते बेहद अहम हैं.

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