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दिलचस्प मुकाम पर अमेरिकी चुनाव

ट्रंप ने पिछले चुनावों में आखिरी के दिनों में पासा पलट दिया था. इसलिए विशेषज्ञ अभी भी बाइडेन को स्पष्ट रूप से विजेता नहीं मान रहे हैं, बाइडेन की टीम भी प्रचार में किसी तरह की ढील नहीं दे रही है.

जे सुशील, स्वतंत्र शोधार्थी

jey.sushil@gmail.com

कोरोना ने दुनिया को धीमा कर दिया है. चाहे यात्राएं हों या आम जीवन, सब कुछ धीमी गति से चल रहा है और यही हाल होनेवाला है अमेरिकी चुनाव के परिणामों का भी. इस बार के चुनाव परिणाम पूर्व के चुनाव परिणामों से इस मायने में अलग होनेवाले हैं कि तीन नवंबर की देर शाम तक स्पष्ट परिणाम आने की संभावना नगण्य बतायी जा रही है.

ऐसा होने की वजह होगी पोस्टल बैलेट. कोरोना के कारण अमेरिका में पहली बार बड़ी संख्या में लोग पोस्ट के जरिये मतदान कर रहे हैं. अभी तक कम-से-कम 50 लाख मतदाता पोस्टल बैलेट के जरिये वोट डाल चुके हैं. अमेरिका में चुनाव के लिए मतदान भले ही तीन नवंबर को होना है, लेकिन वोटिंग की प्रक्रिया शुरू है. लोग पोस्टल बैलेट के जरिये वोट डाल रहे हैं. साथ ही अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में नियम है कि वे वोटिंग के दिन से पहले भी जाकर वोट डाल सकते हैं. मसलन, मैं जिस राज्य में रहता हूं, वहां तीन नवंबर से छह हफ्ते पहले वोट डाले जा सकते हैं. अमेरिका के कई राज्यों में वोटिंग के दिन कोई राष्ट्रीय अवकाश भी नहीं होता है.

वोट पहले भले ही डाले जाते हों, लेकिन मतगणना की प्रक्रिया हर राज्य में अलग-अलग है. तीन नवंबर को जब वोटिंग के बाद मतगणना शुरू होगी, तो इस बार कई मसले होंगे. सबसे बड़ा मसला इस बार यही होगा कि पोस्ट बैलेट की संख्या पहले के चुनावों की तुलना में बहुत अधिक होगी. अनुमानों के अनुसार, बताया जा रहा है कि आधे से अधिक मतदाता पोस्ट बैलेट से वोट दे रहे हैं. अगर ये अनुमान सही होगा, तो वोटिंग की गणना में हफ्ते भर से अधिक का समय लग सकता है. साथ ही ये पता चलना कि चुनाव में आगे कौन है, इसे समझने में भी कई दिन लग सकते हैं.

ऐसा इसलिए भी होगा, क्योंकि कई राज्यों में पोस्टल बैलेट भले ही आ चुके हों, लेकिन उन्हें खोलने पर भी रोक है. यानी कि तीन नवंबर को मतगणना का समय समाप्त होने के बाद ही इन राज्यों में लाखों की संख्या में डाले गये पोस्टल बैलेट खोले जा सकेंगे. कुछ राज्यों में पोस्टल बैलेट चुनाव के दिन से पहले खोलकर गिनती कर लेने का नियम है, लेकिन इसकी जानकारी मतगणना के समय ही दी जाती है.

यानी आम तौर पर मतगणना के दिन हम जो शुरुआती रुझान देखते हैं, वह असल में उन पोस्टल बैलेट के वोट होते हैं, जो चुनाव वाले दिन से पहले ही काउंट हो चुके होते हैं. लेकिन, मतगणना के आखिरी समय में उन पोस्टल वोटों का नंबर आता है, जो उन राज्यों के होते हैं जहां पोस्टल बैलेट मतगणना के दिन ही खोले जाते हैं.

वर्ष 2000 के चुनावों में फ्लोरिडा के गवर्नर को शुरुआती रुझानों में बढ़त मिली थी, लेकिन जब पोस्टल बैलेटों की गिनती होने लगी, तो वे पिछड़ने लगे. ऐसा होते ही उन्होंने कहा कि ये फ्रॉड है और धोखाधड़ी हो रही है. मामला आगे बढ़ा और सुप्रीम कोर्ट तक गया. अब आप समझिए कि यही हालत राष्ट्रपति चुनावों के दौरान भी हो सकती है, जहां शुरुआत में किसी एक उम्मीदवार को बढ़त मिल रही हो और आखिरी तक आते-आते दूसरा कोई उम्मीदवार जीत जाये. यहां के चुनावों में इस बात की पूरी संभावना बनी रहती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की देरी तो मतगणना के दौरान जब होगी तब होगी, लेकिन उससे पहले ही इसकी आशंका को कई तरह की कांस्पिरेसी थ्योरी से बढ़ावा दिया जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने खुलेआम कहा है कि पोस्टल बैलेट में धांधली की आशंका है, जबकि धांधली क्या और कैसी होगी, ये वह कभी खुल कर बता नहीं पाये हैं.

जानकारों का मानना हैं कि चूंकि लोगों को अब ये आदत नहीं रही कि वो लंबे समय तक चुनाव परिणाम के लिए इंतजार करें, तो मतगणना वाले दिन और उसके बाद नयी कांस्पिरेसी थ्योरियां आ सकती हैं. सोशल मीडिया के जमाने में कोई भी अफवाह बड़ा रूप ले सकती है और उसके बाद क्या होगा, उसे नियंत्रण में रखना भी मुश्किल काम हो सकता है.

इन आशंकाओं के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवार गुरुवार को आखिरी बहस करेंगे. इस बार होनेवाली तीन बहसों में एक बहस को राष्ट्रपति ट्रंप के कोरोना के कारण रद्द करना पड़ा था. पिछली बहस के मद्देनजर इस बार बहस की कुछ शर्तें बदली भी गयी हैं, जिसमें सबसे बड़ा बदलाव यही है कि बहस के विभिन्न मुद्दों पर जब एक उम्मीदवार अपनी बात दो मिनट के लिए रख रहा होगा, तो दूसरे उम्मीदवार का माइक बंद कर दिया जायेगा. ऐसा करने की सबसे बड़ी वजह यही बतायी जा रही है कि पिछली बहस में राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार बाइडेन को टिप्पणी के दौरान टोका था.

फिलहाल, राष्ट्रपति चुनावों में दो हफ्ते से भी कम का समय रह गया है और दोनों ही उम्मीदवार एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए हैं. फिलहाल, सारे चुनाव सर्वेक्षणों में जो बाइडेन को बढ़त मिली हुई है, लेकिन ये बढ़त अजेय नहीं है. सात से आठ प्रतिशत की इस बढ़त को अचानक अपने करिश्मे से पलटने की क्षमता रखने वाले ट्रंप ने पिछले चुनावों में आखिरी के दिनों में पासा पलट दिया था.

यही कारण है कि विशेषज्ञ अभी भी बाइडेन को स्पष्ट रूप से विजेता नहीं मान रहे हैं और न ही बाइडेन की टीम प्रचार में किसी भी तरह की ढील दे रही है. अंतिम हफ्तों में बाइडेन की तरफ से प्रचार करने वालों में बराक ओबामा प्रमुख हैं. उनके साथ उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी बाइडेन के समर्थन में लगातार बोल रही हैं. दूसरी तरफ ट्रंप का आत्मविश्वास पहली बार थोड़ा सा डगमगाया-सा लग रहा है, जब उन्होंने पिछले दिनों एक भाषण में मजाक में ही सही ये कहा कि अगर बाइडेन जीते, तो उन्हें यानी ट्रंप को देश छोड़ना पड़ेगा क्योंकि बाइडेन से हारना उनके लिए शर्मनाक होगा.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Posted by : Pritish Sahay

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