रांची स्थित राजभवन का उद्यान तीन से 12 फरवरी तक आम लोगों के लिए खोला गया. इस उद्यान को देखने सिर्फ रविवार को करीब दो लाख लोग पहुंचे. पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने के लिए लाठी तक भांजनी पड़ी. इन 10 दिनों में 5 लाख से ज्यादा लोग उद्यान घूमने आये. आखिर इस उत्साह की वजह क्या है? आम तौर पर, राष्ट्रपति भवन या राज्यों के राजभवनों में प्रवेश विशिष्ट लोगों का ही विशेषाधिकार है.
इनकी ऊंची चहारदीवारियों के पीछे क्या है, यह आदमी के लिए आज भी जिज्ञासा का विषय है. दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में बना मुगल गार्डेन पिछले कई सालों से वसंत के मौसम में एक महीने के लिए खुलता है. झारखंड राजभवन में यह अच्छी शुरुआत थोड़ी देर से हुई. पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के समय में राजभवन के द्वारा आम आदमी के लिए खुले. राजभवन उद्यान देखने की उसे अनुमति मिली. हालांकि इस छूट की अवधि बहुत छोटी है जिसे बढ़ाये जाने की जरूरत है.
इस तरह की पहल लोगों को राजभवन के करीब लाती है और यह विश्वास लोगों में जगाती है कि राजभवन भी हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली का ही एक हिस्सा है. अगर राजभवन के उद्यानों को ज्यादा दिन के लिए खोला जाये तो उन पर हो रहा भारी खर्च और सार्थक बनाया जा सकेगा. रांची में उमड़ी भीड़ का संदेश यह भी है कि शहरी जीवन शैली में सुकून और प्रकृति से जुड़ाव के अवसर लगातार कम होते जा रहे हैं. नगर निगम या अन्य एजेंसियों द्वारा उद्यानों का खराब रखरखाव या उच्च मापदंडों के न होने के कारण, आम लोगों का राजभवन उद्यान की ओर रुझान स्वाभाविक है.
किसी भी शहर की योजना में बड़े और सुंदर उद्यानों का होना अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए. जमशेदपुर में हर साल फ्लावर शो होते हैं. लेकिन जरूरत इस बात की भी है कि फूलों को हम गमलों से निकाल कर बगीचों में पहुंचा सकें. वे हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जायें, ना कि उन्हें देखने-जानने कि लिए विशेष अवसर का इंतजार करना पड़े. बागबानी और उस क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान को आम लोगों से जोड़े जाने की जरूरत है. झारखंड की राजधानी रांची एक बड़ा शहर है, पर यहां एक भी अच्छा और स्तरीय पार्क नहीं है. राजभवन की भीड़ का एक इशारा इस ओर भी है.