प्याज के दाम का जो बोझ है, उसे अभी और ढोना पड़ेगा. अब अगले साल ही कुछ सुधार की उम्मीद की जा सकती है. इससे एक बात साफ हो जाती है कि विपक्ष में रहकर आलोचना करना बहुत आसान होता है और सुधार लाना उतना ही मुश्किल होता है.
मौजूदा सरकार के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था ‘ग्रीन रेवोल्यूशन’ के तहत टीओपी यानी टोमेटो, पोटैटो, ओनियन पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके तहत एक बड़ी राशि भी आवंटित की गयी थी, मगर दुख की बात है उस पर अमल नहीं किया जा सका. अब प्याज के दाम का बोझ अब उठाया नहीं जा रहा है.
खाद्य पदार्थ महंगे हुए हैं, जिसका कारण सरकार की असफल नीतियों को बताया जा रहा है. अगर जेटली की बात पर अमल किया जाता, तो यह स्थिति नहीं आती. साल का अंत महंगाई के नजरिये से सही नहीं रहा है. खास तौर पर विद्यार्थियों के लिए, जो बाहर रहकर पढ़ रहे हैं, उनके लिए साल के आखरी कुछ महीनों में बहुत बचत हो सकता था.
अमर कुमार यादव, धनबाद, झारखंड