Advertisement
बीमारियों का दौर !
बरसात और बाढ़ की कहर के बाद बीमारियों का दौर चल पड़ा है. बीमारियों से जूझते हताश लोगों के सवालों से कतरा कर समस्याएं तो दूर नहीं होती. देश के कई बड़े शहरों में अप्रत्याशित बाढ़ और फिर फैलती बीमारियों का सामना करने में सरकारें नाकाम दिखीं है. माना कुदरत का कहर अपने हाथों में […]
बरसात और बाढ़ की कहर के बाद बीमारियों का दौर चल पड़ा है. बीमारियों से जूझते हताश लोगों के सवालों से कतरा कर समस्याएं तो दूर नहीं होती. देश के कई बड़े शहरों में अप्रत्याशित बाढ़ और फिर फैलती बीमारियों का सामना करने में सरकारें नाकाम दिखीं है. माना कुदरत का कहर अपने हाथों में नहीं, फिर भी कुदरत से छेड़छाड़ ही इस तबाही की मूल वजह बनी है.
इसे विडंबना ही कहेंगे कि जल संरक्षण का पाठ पढ़ाती सरकारें जल निकासी का रास्ता ढूंढती रहीं! जल जमाव और उससे पैदा होती बीमारियों पर दोषारोपण कर जिम्मेदारी से नहीं बचा जा सकता. आजाद हवा-पानी के रास्ते में रुकावट पैदा करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो. आपदा प्रबंधन का इस्तेमाल नालियों की सफाई के लिए किया जाना बेहद शर्मनाक है.
एमके मिश्रा, रातू, रांची
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement