आधुनिक समाज में बढ़ती मानसिक विकृति और आपराधिक प्रवृत्ति के लिए उत्तरदायी कौन है? भोगवादी पाश्चात्य सभ्यता की आंधी को रोक पाने में हम विफल रहे हैं. उसने पैसे की ऐसी अंधी दौड़ को जन्म दिया है, जिसने नैतिक, सामाजिक, मानवीय और पारिवारिक मूल्यों को तहस-नहस कर डाला.
संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवार आ गये. एक ओर, विद्यालयों में संस्कार विहीन शिक्षा, दूसरी ओर, एकल परिवारों में माता-पिता के पास समय का अभाव होना, ऐसे में बच्चों में अच्छे आचरण कैसे विकसित होंगे? दादा-दादी या नाना-नानी, जो बच्चों को शिक्षाप्रद कहानियां सुनाया करते थे, आज स्वयं अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. उधर फूहड़ता, ईलता और अपराध करने के नये-नये तरीकों को सिनेमा, इंटरनेट और टीवी ने प्रचारित-प्रसारित किया है. तो दोषी कौन है? साफ है, आज के हालात के लिए हम स्वयं दोषी हैं.
रामप्रकास सिंह, धनबाद