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आवाज दो हम एक हैं

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com स्वतंत्रता दिवस को बीते हुए पंद्रह दिन भी ना बीते हैं. आवाज दो हम एक हैं- इस गीत की सीडी अभी रेडियो स्टेशनों के स्टाक हाउस में भी ना गयी है कि केरल ने आरोप लगा दिया कि तमिलनाडु की वजह से केरल में बाढ़ आ गयी है. तमिलनाडु ने […]

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

puranika@gmail.com

स्वतंत्रता दिवस को बीते हुए पंद्रह दिन भी ना बीते हैं. आवाज दो हम एक हैं- इस गीत की सीडी अभी रेडियो स्टेशनों के स्टाक हाउस में भी ना गयी है कि केरल ने आरोप लगा दिया कि तमिलनाडु की वजह से केरल में बाढ़ आ गयी है. तमिलनाडु ने अपने एक बांध से पानी छोड़ दिया और बाढ़ आ गयी. वहीं तमिलनाडु सरकार कह रही है नहीं, नहीं हमने नहीं किया. आवाज दो हम एक हैं- भई कहां से एक हो जायें. तमिलनाडु और केरल एक ना हो पा रहे.

केरल से एक होने का आॅफर संयुक्त अरब अमीरात की तरफ से आता दिखा- करीब 700 करोड़ की राहत. ऐसा पहले बताया गया था. बाद में शायद संयुक्त अरब अमीरात की सरकार को समझदारों ने समझाया कि अपना हाथ पहले ही तंग है. कच्चे तेल के भावों में टोटा पड़ जाता है. कहां से लायेंगे इतनी रकम. अरब में जो लोग तेल से नीचे कुछ भी बेचने के काम को घटिया समझते थे, वे अब बर्गर बेचकर कमाई कर रहे हैं. अब अरब वाले कह रहे हैं कि हमने तो ना कही थी इतना देने की.

टीवी की खबरें नागिन लेवल पर पहुंच गयी हैं. नागिन ने नाग को बोला आई लव यू- टाइप की खबरें चलती हैं. कोई खंडन करने नहीं आता. इसी हल्ले में सात सौ करोड़ की मदद की खबर चल गयी. इसका खंडन आ गया. टीवी पत्रकारों को समझना चाहिए कि नागिन लोक से बाहर की खबरें नागिन-लेवल से नहीं की जा सकतीं.

केरल सरकार अब केंद्र सरकार को डपट रही है कि 700 करोड़ लाओ. अगर अरबवालों की रकम नहीं पहुंची, तो केंद्र सरकार को देने पड़ेंगे. मतलब समझ नहीं आ रही है कि मदद के नाम पर यह कैसा मजाक हो रहा है. पाकिस्तान जो रोज अपना मुर्गा चावल चीन से उधार लाता है, भारत को आॅफर कर रहा है कि जरूरी चीज भिजवा देंगे. जब यह पक्का हो जाये कि सामनेवाली पार्टी आपसे चावल का एक दाना भी नहीं लेगी, तब उसे यह आॅफर करना बिलकुल सेफ हो जाता है.

जिस तरह की पाॅलिटिक्स मदद के नाम पर हो रही है, उसके कई खतरे मुझे दिखायी पड़ रहे हैं. ममता बनर्जी कह सकती हैं- हुलुंगाबलाशा नामक देश ने बंगाल को पचास हजार करोड़ की मदद की बात कही है. अगर यह रकम बंगाल को नहीं मिली, तो केंद्र सरकार इतनी रकम का जुगाड़ बंगाल के लिए करे. लेकिन, हुलुंगाबलाशा देश है कहां?

जी यह देश है कहां, यह भी तलाशना बंगाल का जिम्मा नहीं है. केंद्र सरकार बस पचास हजार करोड़ का जुगाड़ करे.

गहन त्रासदी के वक्त में तमिलनाडु और केरल एक ना हो पा रहे हैं, मार मचाये दे रहे हैं. पूरा देश एक कैसे हो जायेगा. देश पूरा एक तब ही होता है, जब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच हो रहा होता है. तो क्या करें जी? देश को एक रखने की एक ही तरकीब है कि बारह महीने इंडिया-पाक क्रिकेट सीरीज चलती रहे. और कोई उपाय नहीं है.

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