31.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बीएस येदियुरप्पा : दो बड़ी चुनौतियां जिनसे अब उनको पार पाना होगा

बेंगलुरु : कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के रूप मेंभाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. येदियुरप्पा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. और,यह तय है कि इस बार पर भी उनका शीर्ष पद पर पहुंचना कांटों भरा ताज पहनना ही साबित होने जा रहा है, जहां बहुमत […]

बेंगलुरु : कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के रूप मेंभाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. येदियुरप्पा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. और,यह तय है कि इस बार पर भी उनका शीर्ष पद पर पहुंचना कांटों भरा ताज पहनना ही साबित होने जा रहा है, जहां बहुमत साबित करने की स्थिति में भी उन्हें कमजोर संख्याबल वाली सरकारका नेतृत्व करना है और रेड्डी बंधुसे जूझना व उन्हें नियंत्रित रखना है.

बहुमत का संकट

224 विधानसभा सीट वाले कर्नाटक में 222 सीटों के लिए चुनाव हुए हैं, जिसमें जेडीएस के नेता एचडी कुमारास्वामी दो सीटों सेचुनाव जीते हैं, ऐसे में वोटिंग के दौरान उनका एकही मत मान्य होगा. यानी सदन में अग्निपरीक्षा 221 की संख्या पर ही होगी. इसमें एक प्रोटेम स्पीकर को घटा दें तो 220 संख्या बचती है यानीबिल्कुल सामान्य बहुमत के लिए 111 विधायक चाहिए.

भाजपा के पास 204 विधायक हैं, यानी उसेकम से कम सात और विधायक चाहिए.दो निर्दलीय विधायक हैं, अगरये भााजपा की ओर आते हैं तो इनकी संख्या 106 हो जाएगी. फिर भी पांच की जरूरत होगी. कांग्रेस के पास78 विधायक हैं और बसपा के एक विधायक के साथ जेडीएस के पास 38 विधायकहैं.

यानी बिना कांग्रेस व जेडीएसखेमे में टूट-फूट हुए संख्या बल जुटाना संभव नहीं है. यह कहा जा रहा है किकांग्रेस के लिंगायत विधायकों का झुकाव येदियुरप्पा कीओर है.

येदियुरप्प्प को बहुमत हासिल करने के लिए या तो कांग्रेस-जेडीएस केकुछ विधायकों की अनुपस्थिति का सहारा लेना होगा या उनकी क्रास वोटिंग की जरूरत होगी. कल भी कांग्रेस की बैठक में कुछविधायक गैर मौजूद थे, जिससेभाजपा की संभावनाएं मजबूत नजर आ रही हैं.

रेड्डी बंधु

मीडिया रिपोर्ट्स केमुताबिक, कर्नाटकके बेल्लारीव उसके आसपास के जिलों में खासा प्रभाव रखने वालेरेड्डी बंधु भाजपा के लिए बहुमत की संख्या जुटाने के लिए कांग्रेस-जेडीएस खेमेके विधायकों कोलुभा रहे हैं. जाहिर है, जब सिद्धारमैया की सरकार बहुमत साबितकर लेगी तो रेड्डी बंधु यह मान कर चलेंगे कि यह उनकी ही सरकार है, जैसा कि सिद्धारमैया की पहली सरकार में था. रेड्डी बंधु अपने माइनिंग कारोबार से जुड़े हितों को भी सरकारके माध्यम से साधने का प्रयास करेंगे. जरूरत पड़ने पर इसके लिए वे मुख्यमंत्री व सरकार पर दबाव भी बना सकते हैं.

रेड्डी बंधुओंके दबदबेके सामने सिद्धारमैया को पिछली बार समझौता करना पड़ा था और अपनी विश्वस्त मंत्री शोभा करंडलाजे को ही उल्टे सरकार से बाहर करना पड़ा था.पिछले कड़वे अनुभवों के मद्देनजरबीएस येदियुरप्पा से यह उम्मीद की जा सकती है कि वे अधिक सतर्क रुख अख्तियार करेंगे.

यह खबर भी पढ़ें :

वाउ एयर मात्र 13, 499 रुपये आपको ले जाएगा दिल्ली से अमेरिका, जानें पूरी शर्त

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें