भोपाल: मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने गरुवार को यह मान लिया है कि मंगलवार को प्रदेश के मंदसौर जिला स्थित पिपलिया मंडी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान पांच किसानों की मौत पुलिस फायरिंग से हुई है. इससे पहले पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार पुलिस फायरिंग से इनकार कर रही थी. इस पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत होने के साथ-साथ छह अन्य किसान घायल भी हुए थे. इसके चलते राज्य के पश्चिमी भाग में अपनी उपज का वाजिब दाम लेने सहित 20 मांगों को लेकर एक जून से आंदोलनरत किसान अब मध्यप्रदेश सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई करने पर उतर आये हैं.
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जब भूपेंद्र सिंह से फोन पर पूछा गया कि किसानों के गोलियों से छलनी हुए शवों पर आपका क्या कहना है, तो सिंह ने कहा कि पांच लोगों की मौत पुलिस फायरिंग से हुई है. पुलिस फायरिंग में इन किसानों के मारे जाने को लेकर सरकार की ओर से दिए गए इस बयान को अहम माना जा रहा है, क्योंकि अब तक अधिकारी दावा कर रहे थे कि पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों पर गोलियां नहीं चलायीं. घटना के कुछ ही समय बाद मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया था कि पुलिस ने मुझे बताया कि न तो पुलिस ने फायरिंग की और न ही उन्होंने फायरिंग करने के आदेश दिये. राज्य के गृहमंत्री से जब पूछा गया कि पुलिस को फायरिंग करने के लिए किसने भड़काया, तो उन्होंने कहा कि इसका पता लगाने के लिए न्यायिक जांच चल रही है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि अब पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थिति शांतिपूर्ण है. इसी बीच, मध्य प्रदेश के हिंसा प्रभावित मंदसौर जिले में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की टुकड़ियों को तैनात किया गया है. जिले में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. पुलिस ने कहा कि मंदसौर के पिपलिया मंडी में आरएएफ की दो कंपनियों को भेजा गया है, जहां मंगलवार को गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गयी थी. आरएएफ की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि मंदसौर जिले के सभी उपमंडलों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की निगरानी करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी तैनात किया गया है.