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आखिरकार बैंकों ने विजय माल्या का बंगला बेचकर ही लिया दम, जानिये कैसे…?

नयी दिल्ली : बैंकों के करीब नौ हजार करोड़ रुपये का लोन डिफॉल्टर शराब कारोबारी विजय माल्या भले ही कर्ज चुकाने के भय से देश छोड़कर भाग गये हों, लेकिन कर्जदाता बैंकरों ने आखिरकार उनके बंगले को बेचकर ही दम लिया. सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई में गोवा स्थित विजय […]

नयी दिल्ली : बैंकों के करीब नौ हजार करोड़ रुपये का लोन डिफॉल्टर शराब कारोबारी विजय माल्या भले ही कर्ज चुकाने के भय से देश छोड़कर भाग गये हों, लेकिन कर्जदाता बैंकरों ने आखिरकार उनके बंगले को बेचकर ही दम लिया. सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई में गोवा स्थित विजय माल्या के किंगफिशर विला को 73.01 करोड़ रुपये में बेच दिया. इससे पूर्व बैंकों ने माल्या के इस बंगले को बेचने की तीन कोशिशें भी कीं, लेकिन तब सफलता हाथ नहीं लगी थी. सूत्रों से मिल रही खबर के अनुसार, सिनेमा बनाने वाली कंपनी विकिंग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ने माल्या के इस बंगले को एक निजी सौदे के तहत खरीद लिया है.

मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने किंगफिशर बंगले की बिक्री संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि इसे बेचकर माल्या को दी गयी कर्ज की राशि का एक हिस्सा वसूल किया जायेगा. माल्या ने विमानन कंपनी किंगफिशर के लिए कर्ज लेते वक्त अपनी जिन संपत्तियों को आधार बनाया था, उनमें गोवा का यह बंगला भी शामिल था.

हालांकि, स्टेट बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले पर कुछ भी बयान देने से इनकार कर दिया, जबकि विकिंग मीडिया के मालिक और अभिनेता-निर्माता सचिन जोशी से संपर्क नहीं किया जा सका. माल्या को कर्ज देने वाले 17 बैंकों का एक कंसोर्शियम कर्ज का 9,000 करोड़ रुपया वसूलने की कोशिश कर रहा है. इसी क्रम में मुंबई स्थित किंगफिशर हाउस को भी बेचने का भी प्रयास किया जा रहा है.

बताया जाता है कि समुद्र किनारे बने विजय माल्या के किंगफिशर विला में महंगी पार्टियां आयोजित की जाती थीं. कर्ज देने वाले बैंकों की ओर से अक्टूबर, 2016 में पहली बार इसे बेचने की कोशिश की गयी थी. तब इसका रिजर्व प्राइस 85.29 करोड़ रुपये रखा गया था. फिर दिसंबर, 2016 में ही रिजर्व प्राइस घटाकर 81 करोड़ रुपये कर दिया था. तब भी इसे बेचने में सफलता नहीं मिली थी. फिर मार्च, 2017 में इसका रिजर्व प्राइस घटाकर 73 करोड़ रुपये कर दिया गया, लेकिन यह प्रयास भी विफल गया.

दरअसल, सरफेसी ऐक्ट के तहत बैंकों को यह अधिकार मिलता है कि अगर डिफॉल्टर की संपत्ति बेचने के दो प्रयास परवान नहीं चढ़ें, तो वो निजी सौदे के तहत इसे बेच सकते हैं. नियमों के अनुसार, संपत्ति को आखिरी बार तय की गयी रिजर्व प्राइस के आधार पर ही बेचा जायेगी. इस मामले में विकिंग मीडिया आखिरी रिजर्व प्राइस से एक लाख रुपये ज्यादा देने पर राजी हो गया. सचिन जोशी गोवा के ही बियर ब्रैंड किंग्स बियर के भी मालिक हैं. साथ ही, मशहूर प्लेब्वॉय एंटरप्राइजेज का भारत में लाइसेंसधारक पीबी लाइफस्टाइल में भी उनका छोटा सा हिस्सा है.

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