जयपुर: फिल्म ‘पद्मावती’ के परदे पर उतरने से लगभग एक माह पूर्व विभिन्न समुदायों द्वारा विरोध प्रदर्शन के चलते संजय लीला भंसाली और उनकी टीम पर दबाव बढता जा रहा है. राजस्थान के चित्तौडगढ में शुक्रवार को ‘पद्मावती’ के प्रदर्शन के विरोध में बाजार बंद रहे. विभिन्न सामाजिक और व्यावसायिक संस्थाओं ने फिल्म पद्मावती के विरोध के समर्थन में प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारियों ने चित्तौडगढ़ के पद्मावती जौहर कुंड से एक जुलुस निकाला जो शहर की विभिन्न सडक से होकर गुजरा. जुलूस में महिलाओं ने अपने हाथ में नारे लिखी तख्तियां ले रखी थी. श्री राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र कालवी ने बताया कि चित्तौडगढ के जौहर स्मृति समिति के नेतृत्व के किये गये प्रदर्शन में उन्हें अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया था.
उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य हुआ कि व्यापारियों ने स्वेच्छा से बाजार बंद रखा और बडी संख्या में लोगों ने सडकों पर उतरकर पद्मावती फिल्म के विरोध में प्रदर्शन में हिस्सा लिया. कालवी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि फिल्म के प्रदर्शन को रोका जाये. उन्होंने कहा कि श्री राजपूत करणी सेना की एक बैठक 12 नवम्बर को अहमदाबाद में और 19 नवम्बर को लखनऊ में प्रस्तावित है.
उन्होंने कहा कि इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों के विशेषज्ञों के पैनल द्वारा फिल्म को अभी तक नही देखा गया है और फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र मिलना बाकी है.
कालवी ने कहा कि हाल ही में गुजरात भाजपा के प्रवक्ता आई के जडेजा ने घोषणा की है कि पार्टी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर इतिहास के साथ की गई छेडछाड के लिये फिल्म को रिलीज नहीं करने का आग्रह किया है. पार्टी ने एक पत्र फिल्म सेंसर बोर्ड को फिल्म को पुन: जांचने के लिये लिखा है.

