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‘पाकिस्तान का काल’ राफेल को कितना जानते हैं आप? नाम के मतलब में ही छुपा है सारा राज

Meaning of Rafale Fighter Plane: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत ने 6 मई को पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जिसके जवाब में पाकिस्तान लगातार हमले कर रहा है. भारतीय वायु सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है और देश S-400 डिफेंस सिस्टम व राफेल लड़ाकू विमान की ताकत पर पूरी तरह आश्वस्त है. राफेल की खूबियों से तो लोग परिचित हैं, लेकिन इसके नाम के पीछे की कहानी कम लोगों को पता है.

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Rafale in India Pakistan War: भारत पाकिस्तान के बीच इन दिनों युद्ध के हालात बने हुए हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 6 मई की रात पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों पर हमला करके अपना बदला लिया. हालांकि इसके बाद पाकिस्तान की ओर से भारत पर 7-8 मई की रात से लगातार उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए हमला किया जा रहा है. भारतीय वायु सेना इस मौके पर देश की रक्षा के लिए शानदार ढंग से मुंहतोड़ जवाब दे रही है. हालांकि, भारत इस युद्ध जैसे हालात में पूरी तरह आश्वस्त है, तो इसके पीछे उसका S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और राफेल जैसा लड़ाकू विमान है. हालांकि इसकी खूबियों के बारे में तो लोगों को पता होगा, लेकिन इसके नाम के बारें बहुत से लोगों को नहीं पता होगा. 

राफेल, फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित एक अत्याधुनिक चौथी पीढ़ी का बहुउद्देशीय फाइटर जेट है. यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों तरह के मिशनों को बखूबी अंजाम दे सकता है, साथ ही टोही और परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता भी रखता है. राफेल का रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम इसे दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बचाने में सक्षम बनाते हैं, जबकि इसकी डेल्टा विंग डिजाइन और फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम इसे युद्ध में अत्यधिक फुर्तीला बनाते हैं.

क्या है राफेल का अर्थ?

राफेल एक मल्टीरोल फाइटर जेट है जिसे फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने विकसित किया है. इसका पहला परीक्षण उड़ान वर्ष 1986 में हुआ था, और 2001 में यह फ्रेंच एयरफोर्स और नेवी की सेवा में शामिल हुआ. यह एक 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. राफेल लड़ाकू विमान का नाम सैन्य संदर्भ में फ्रेंच शब्द Rafale से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है तेज झोंका या आग की बौछार.

इस नाम का चयन प्रतीकात्मक रूप से किया गया है. एविएशन क्षेत्र में Rafale शब्द गति, फुर्ती और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक लड़ाकू विमान के लिए आवश्यक गुण हैं. इसके अलावा, राफेल की निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन की परंपरा रही है कि वह अपने विमानों के नाम ऐसे शब्दों पर रखती है जो हवा या गतिशीलता से जुड़े होते हैं, जैसे- मिराज (Mirage-मृगतृष्णा) और एक्लेयर (Eclair-बिजली की चमक). सैन्य दृष्टिकोण से भी Rafale शब्द का प्रयोग गोलियों की बौछार या तेज फायरिंग के लिए किया जाता है, जो इस लड़ाकू विमान की युद्धक भूमिका के बिल्कुल अनुरूप है.

राफेल की अन्य खूबियां

राफेल लड़ाकू विमान दो शक्तिशाली M88-2 टर्बोफैन इंजनों से लैस होता है, जिनमें प्रत्येक इंजन लगभग 16,850 पाउंड-फोर्स (7.5 टन) थ्रस्ट उत्पन्न करने में सक्षम है (आफ्टरबर्नर के साथ). यह विमान मैक 1.8 (2,222 किमी/घंटा) की टॉप स्पीड तक उड़ सकता है, जो ध्वनि की गति से 1.8 गुना तेज है. राफेल का अधिकतम टेक-ऑफ वजन 24.5 टन है और यह अपने आंतरिक टैंकों और बाहरी ड्रॉप टैंकों के माध्यम से कुल 11.4 टन ईंधन ले जा सकता है. इसकी फेरी रेंज लगभग 3,700 किमी है जब यह तीन ड्रॉप टैंकों के साथ उड़ता है.

जमकर पीता है तेल

राफेल की ईंधन खपत उड़ान की स्थिति पर निर्भर करती है. सामान्य क्रूज़िंग फ्लाइट के दौरान यह लड़ाकू विमान लगभग 2,500 लीटर प्रति घंटे ईंधन जलाता है, जबकि जब इसे आफ्टरबर्नर के साथ तीव्र युद्धाभ्यास करने पड़ते हैं, तो इसकी खपत बढ़कर लगभग 9,000 लीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है. यह क्षमता राफेल को लंबी दूरी तक ऑपरेट करने और विभिन्न तरह के युद्ध अभियानों में हिस्सा लेने की योग्यता देती है.

इसके अतिरिक्त, राफेल की लंबी उड़ान रेंज (लगभग 3,700 किमी), हवा में ईंधन भरने की सुविधा और कम रडार सिग्नेचर इसे लंबे और जटिल मिशनों के लिए आदर्श बनाते हैं. इसका उन्नत कॉकपिट, हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले और डेटा लिंक सिस्टम पायलट को रीयल-टाइम स्थिति जागरूकता प्रदान करते हैं. भारत वायुसेना में राफेल एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जो अपनी विश्वसनीयता, रखरखाव की आसानी और सिद्ध युद्ध प्रदर्शन के कारण आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है.

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राफेल फाइटर प्लेन. इमेज- भारतीय वायु सेना.

भारतीय वायुसेना में राफेल

भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ एक सरकार से सरकार समझौते के तहत 36 राफेल जेट खरीदने का समझौता किया, जिसकी लागत लगभग 7.8 बिलियन पाउंड थी. इस डील के बाद पहला बैच जुलाई 2020 में भारत पहुंचा और 2022 तक इसकी पूरी तैनाती हो गई. राफेल जेट भारत में दो प्रमुख एयरबेस पर तैनात हैं. पहला अंबाला एयर बेस (हरियाणा) नंबर 17 स्क्वाड्रन “गोल्डन एरो” और दूसरा हासीमारा एयर बेस (पश्चिम बंगाल) नंबर 101 स्क्वाड्रन “फाल्कन्स”.

भारत ने राफेल क्यों चुना?

भारत को स्क्वाड्रन की घटती संख्या के चलते एक उन्नत लड़ाकू विमान की तत्काल जरूरत थी. राफेल ने अपनी श्रेष्ठ क्षमताओं के साथ चीन और पाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय विरोधियों के मुकाबले भारत को स्पष्ट बढ़त दी है. यह विमान भारतीय हथियार प्रणालियों के साथ इंटरऑपरेबल है और इसमें परमाणु हमले की क्षमता भी है. पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसे हालात में यह भारत की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है. 

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