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अब लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता नहीं,14 दिन में तैयार हो जाएंगी लिवर कोशिकाएं

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) के विज्ञानियों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे खराब लिवर को ठीक किया जा सकेगा. इस तकनीक के तहत.....

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मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) के विज्ञानियों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे खराब लिवर को ठीक किया जा सकेगा. इस तकनीक के तहत मेसेन्काइमल स्टेम सेल्स का उपयोग कर हेपेटोसाइट्स बनाने की प्रक्रिया अब केवल 14 दिनों में पूरी होती है, जो पारंपरिक विधि से आधे समय में संभव हो रही है.

इस प्रक्रिया से लिवर की खराब कोशिकाओं को ठीक किया जा सकेगा , जिससे भविष्य में लिवर के ट्रांसप्लांट की आवश्यकता कम हो सकती है.यह तरीका न सिर्फ तेज और किफायती है, बल्कि सुरक्षित भी है. इससे संबंधित शोध प्रतिष्ठित ‘स्टेम सेल रिव्यू एंड रिपोर्ट’ जर्नल के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है.इस शोध कमेटी में एमएनएनआइटी प्रयागराज के निदेशक प्रो. आरएस वर्मा, आइआइटी मद्रास के संतोष गुप्ता, नार्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय से डा. जोवाना विसेवेक सहित कई विज्ञानी शामिल हैं.

प्रमुख शोधकर्ता और एमएनएनआइटी के निदेशक प्रो. आरएस वर्मा बताते हैं कि इस तकनीकि प्रक्रिया से तैयार लिवर का ढांचा एक प्राकृतिक ढांचे की तरह काम करता है, जिस पर स्टेम सेल को बढ़ाया जा सकता है.
इसी ढांचे पर स्टेम सेल डालकर कृत्रिम लिवर टिशू विकसित किया जा सकता है.ताकि इसे स्टेम सेल-आधारित नए लिवर कोशिकाओं के विकास के लिए उपयोग किया जा सके.

प्रो. आरएस वर्मा ने कहा कि…

इससे भविष्य में कभी भी लिवर फेलियर के मरीजों को स्टेम सेल-आधारित उपचार मिल सकेगा, जिससे उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता कम पड़ेगी. मेसेन्काइमल स्टेम सेल्स का उपयोग करने से कोशिकाएं ज्यादा स्थिर और सुरक्षित होती हैं. इससे शरीर में कोई दुष्प्रभाव या असामान्य वृद्धि (ट्यूमर) होने की संभावना नहीं होगी.

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