केंद्र सरकार तीन आपराधिक कानूनों को पूरे देश में लागू करने की दिशा में कदम उठा रही है. कई राज्यों में यह कानून लागू हो चुका है. मंगलवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ केंद्रशासित प्रदेश में तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में जम्मू एवं कश्मीर में पुलिस, जेल, अदालत, अभियोजन और फॉरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के क्रियान्वयन और मौजूदा स्थिति की समीक्षा की.
बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के महानिदेशक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के महानिदेशक सहित गृह मंत्रालय और जम्मू एवं कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. बैठक को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए तीन नये आपराधिक कानूनों के जरिये त्वरित न्याय मुहैया कराने में तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करने पर जोर दिया गया है. जम्मू एवं कश्मीर में अप्रैल 2025 तक तीनों कानूनों का पूर्ण क्रियान्वयन करने को कहा गया है और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.
पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव जरूरी
गृह मंत्री ने कहा कि कहा कि नये कानूनों के क्रियान्वयन के लिए पुलिसकर्मियों और प्रशासन की कार्यप्रणाली में बदलाव लाना जरूरी है. साथ ही इसके लिए नागरिकों में जागरूकता पैदा करना अहम हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद पर नियंत्रण के बाद सुरक्षा हालातों में सुधार को देखते हुए नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की प्राथमिकता होनी चाहिए. आरोप पत्र दाखिल करने के काम में तेजी लाने के लिए पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है. राज्य के हर पुलिस स्टेशन को तकनीक के अधिकतम उपयोग करने और जांच अधिकारियों काे नये कानूनों के प्रावधानों के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.
आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित प्रावधानों का पुलिस अधीक्षक के स्तर पर विश्लेषण करने के बाद ही प्रयोग करने की जरूरत है. ऐसे प्रावधानों का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए सख्त निगरानी होनी चाहिए. शाह ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन और सरकार ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद नए कानूनों के क्रियान्वयन की दिशा में अच्छा काम किया है.