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युद्ध में घायल सैनिकों के लिए बने कोष से नहीं खरीदे जा रहे हथियार, वायरल हो रहे सोशल पोस्ट पर सेना ने ये कहा…

Indian Army : सशस्त्र बलों के युद्ध हताहत कल्याण कोष (एबीसीडब्ल्यूएफ) को लेकर सोशल मीडिया चल रही खबरों को लेकर भारतीय सेना ने बयान दिया है.

Indian Army : सशस्त्र बलों के युद्ध हताहत कल्याण कोष (एबीसीडब्ल्यूएफ) को लेकर सोशल मीडिया चल रही खबरों को लेकर भारतीय सेना ने बयान दिया है. भारतीय सेना ने एबीसीडब्ल्यूएफ के लेकर सोशल मीडिया पर जो खबरें चल रही है, उन्हें गलत बताया है. भारतीय सेना ने कहा है कि हथियारों और उपकरणों की खरीद के लिए सशस्त्र बलों के युद्ध हताहत कल्याण कोष के लिए दान पर सोशल मीडिया में रिपोर्ट सच नहीं हैं.

न्यूज एजेन्सी ANI के अनुसार भारतीय सेना ने अपने बयान में कहा है कि यह स्पष्ट किया गया है कि एबीसीडब्ल्यूएफ को देश के नागरिकों की इच्छा के अनुसार खोला गया था, जो कि युद्ध के हताहतों / उनके परिजनों के कल्याण में योगदान देना चाहते थें और एबीसीडब्ल्यूएफ का उपयोग केवल इस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है.

बता दें कि फरवरी 2016 में, सियाचिन में हुई हिमस्खलन की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना जिसमें 10 सैनिकों के बर्फ में दब जाने के बाद बैटल कैजुअल्टी के तहत उनके परिवारों को बड़ी संख्या में लोगों के द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान करने की पेशकश के बाद, रक्षा मंत्रालय ने भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (ईएसडब्ल्यू) के तहत एबीसीडब्ल्यूएफ का गठन किया था. एबीसीडब्ल्यूएफ का गठन जुलाई 2017 में किया गया था और इसे अप्रैल 2016 में पूर्वव्यापी रूप से लागू कर दिया गया.

वहीं पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैटल कैजुअल्टी (बीसी) की सभी श्रेणियों के लिए परिजनों को आर्थिक सहायता में वृद्धि करते हुए इसे दो लाख रुपये से बढ़ाकर आठ लाख रुपये करने की मंजूरी दे दी थी. यह राशि सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष (एबीसीडब्ल्यूएफ) के तहत दी जाती है. इससे पहले, बैटल कैजुअल्टी में 60 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता के लिए 2 लाख रुपये और 60 प्रतिशत से कम दिव्यांगता के लिए 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान था. यह उदारीकृत पारिवारिक पेंशन, सेना समूह बीमा, सैन्य कल्याण कोष और अनुग्रह राशि से मिलने वाली वित्तीय सहायता के अतिरिक्त था.

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