Cooperative: देश में हर साल लाखों टन अनाज गोदामों की कमी के कारण बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में सरकार ने वर्ष 2023 में खाद्य गोदाम की क्षमता बढ़ाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य गोदाम सुविधा विकसित करने की मंजूरी दी. इस योजना के तहत सहकारिता क्षेत्र के तहत गोदामों का निर्माण करना है और मौजूदा समय में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर योजना चलायी जा रही है. इस योजना के तहत प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी(पैक्स) स्तर पर विभिन्न कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है. इसके तहत विकेंद्रीकृत गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड स्टोरेज और अन्य सुविधाओं का विकास केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत करना है.
स्टोरेज तक हो किसानों की सीधी पहुंच
इस योजना के तहत स्थानीय स्तर पर खाद्य पदार्थ की स्टोरेज सुविधा विकसित कर परिवहन और वितरण की चुनौतियों को दूर करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा पैक्स को एग्री मार्केटिंग और खरीद प्रक्रिया से जोड़कर किसानों की सीधी पहुंच स्टोरेज सुविधा तक हो सकेगी. इससे किसानों की बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी. साथ ही किसानों को फसलों का उचित मूल्य मिलेगा, परिवहन में लगने वाली लागत कम होगी और ग्रामीण स्तर पर रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे.
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में यह जानकारी दी कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत 11 पैक्स में 11 गोदामों का निर्माण हो चुका है और इसकी कुल क्षमता 9750 मीट्रिक टन है. गौरतलब है कि इस योजना के तहत पांच साल में 1.25 लाख करोड़ रुपये निवेश किया जाना है. सरकार की योजना पांच साल में 700 लाख टन भंडारण क्षमता का विकास करना है.
जमीनी स्तर पर सहकारिता के लिए लोगों को सशक्त बनाना है लक्ष्य
केंद्र सरकार ने सहकारिता क्षेत्र को जमीन स्तर पर मजबूत करने के लिए 15 फरवरी 2023 को एक योजना की मंजूरी दी. इस योजना के तहत देश में दो लाख नये पैक्स का निर्माण, डेयरी, मछली पालन और अन्य क्षेत्र में देश के सभी गांवों और पंचायतों में करना है. इन पैक्स का निर्माण केंद्र सरकार की विभिन्न योजना जैसे डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, नेशनल प्रोग्राम फॉर डेयरी डेवलपमेंट, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से होगा, जिसे नाबार्ड, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड और राज्य सरकार के सहयोग से होगी.
बिहार में 25 और झारखंड में 44 नये पैक्स का पंजीकरण
नेशनल कोऑपरेटिव डेटाबेस के अनुसार 27 जनवरी 2025 तक 3667 नये पैक्स का पंजीकरण हो चुका है. जिसमें बिहार में 25 और झारखंड में 44 नये पैक्स हैं. केंद्र सरकार ने पैक्स के कंप्यूटरीकरण के लिए 2516 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. सभी पैक्स को एक राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जोड़ा जायेगा, जिसमें नाबार्ड के जरिये स्टेट कोआपरेटिव बैंक और जिला कोऑपरेटिव बैंक से लिंक किया जायेगा.
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