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पुस्तक विमोचन : सामाजिक चेतना जगाने वाले योद्धा थे बनारसीदास चतुर्वेदी : उपसभापति हरिवंश

पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी का पुस्तक विमोचन उपसभापति हरिवंश ने किया. जिसमें उन्होंने उनके साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र के योगदान के बारे में बताया.

दिल्ली : पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी ने साहित्य और पत्रकारिता के लिए सामाजिक समरसता से लेकर हिंदी साहित्य को समृद्ध करने का काम किया. उनके समाज निर्माण में योगदान और साहित्य के जरिये समाज को भावी चुनौतियों के प्रति आगाह करने और उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में ‘यायावर शब्दशिल्पी पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी’ नामक पुस्तक का विमोचन राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने किया.

पुस्तक का संपादन प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने किया है. मौके पर पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी के पौत्र डॉक्टर अपूर्व चतुर्वेदी और ओरछा के पूर्व नरेश मधुकर शाह भी मौजूद थे. मौके पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि इस पुस्तक का संपादन बहुत सुंदर ढंग से किया गया है. बनारसीदास चतुर्वेदी कई अर्थों में विशिष्ट हैं. पत्रकारिता और साहित्य के जरिये देश में चेतना फैलाने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा.

उन्होंने हिंदी साहित्य के जरिये पश्चिमी देशों, जापान और अन्य देशों की घटनाओं से भारत के लोगों को परिचित कराया, वह भी ऐसे समय में, जब दुनिया में संचार के साधन बेहद सीमित थे, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और स्वाध्याय से भारत के लोगों को पश्चिम देशों की घटनाओं से रूबरू कराने का काम किया. ऐसे में हिंदी बौद्धिक जगत में उनकी भूमिका हमेशा विलक्षण बनी रहेगी.

हरिवंश ने कहा कि जब पूरी दुनिया में आत्मकेंद्रित समाज का निर्माण हो रहा है, ऐसे में बनारसीदास चतुर्वेदी जैसे लोग ही समाज का मार्गदर्शक बने रहेंगे. ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में भोग की प्रबल आकांक्षा और चाहत बनी हुई है. पूरी दुनिया में कम से कम सामान में जीवन यापन कैसे हो, इस पर व्यापक बहस हो रही है, लेकिन पंडित जी काफी पहले समाज के इस बारे में चेताया था.

इससे जाहिर होता है कि उनमें असाधारण दृष्टि थी. उनकी सबसे बड़ी खासियत दुनिया के विशिष्ट ज्ञान संपदा से हिंदी के पाठकों को अवगत कराना है. उन्होंने कहा कि किसी देश के भविष्य का निर्माण अतीत की बुनियाद पर निर्भर होता है. देश के भविष्य को आगे ले जाना है, तो बिना पंडित जी को याद किये संभव नहीं है.

वहीं उनके पौत्र अपूर्व चतुर्वेदी ने कहा कि दादा जी के बारे में जितना लिखा गया, वह उनके व्यक्तित्व के हिसाब से कम ही है. उनका जीवन प्रवासी भारतीय की सेवा पत्रकारिता और लेखन में बीता. प्रवासी भारतीयों की समस्या को सामने लाने का काम किया. इस पुस्तक का प्रकाशन ‘प्रभात प्रकाशन’ ने किया है.

उन्होंने हिंदी की अनेक प्रतिभाओं को तराशा : आशुतोष चतुर्वेदी

इस मौके पर किताब के संपादक और प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करने के लिए लिखी गयी है. बनारसीदास एक परिवार के नहीं थे, बल्कि उनका परिवार व्यापक था. उन्होंने सिर्फ साहित्य के जरिये सामाजिक चेतना जगाने का काम नहीं किया, बल्कि कई आंदोलन भी चलाया. हिंदी को समृद्ध बनाने के लिए कई प्रतिभाओं को तराशने का काम किया और हिंदी भवनों की स्थापना में उनका अहम योगदान रहा है. पत्रकारों के हित में भी कई काम किये.

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