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लोकपाल की नियुक्ति जल्द करे सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

नयी दिल्ली : लोकपाल विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि लोकपाल विधेयक ‘व्यवहारिक’ है और इसके क्रियान्वयन को लकटाये रखना न्यायोचित नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकपाल एक्ट पर बिना संशोधन के ही काम किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र […]

नयी दिल्ली : लोकपाल विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि लोकपाल विधेयक ‘व्यवहारिक’ है और इसके क्रियान्वयन को लकटाये रखना न्यायोचित नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकपाल एक्ट पर बिना संशोधन के ही काम किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि इतने वक्त तक लोकपाल की नियुक्ति क्यों रोकी गयी.

इस मामले की 28 मार्च को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार के वकील अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोकपाल की नियुक्ति अभी संभव नहीं है. बिल में कई संशोधन होने हैं, जो संसद में लंबित हैं.

कोर्ट को बताया गया कि मल्लिकार्जुन खड़गे नेता विपक्ष नहीं हैं. कांग्रेस ने नेता विपक्ष का दर्जा मांगा था, लेकिन स्पीकर ने उनकी मांग को खारिज कर दिया. इस संबंध में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को लोकपाल के चयन की प्रक्रिया में शामिल करने संबंधी संशोधन मॉनसून सत्र में पास होने की उम्मीद है.

रोहतगी ने कहा कि यह मामला न्यायपालिका में नियुक्ति का नहीं, लोकपाल की नियुक्ति का है. न्यायपालिका को अधिकारों के बंटवारे का सम्मान करना चाहिए और संसद को ये निर्देश जारी नहीं करने चाहिए कि लोकपाल की नियुक्ति करे. यह संसद की बुद्धिमता पर निर्भर है कि वह बिल पास करे.

संसद में लंबित हैं 20 संशोधन

लोकपाल बिल को वर्ष 2014 में कई संशोधन प्रस्ताव आये थे. इस पर विचार करने में स्टैंडिंग कमेटी को एक साल लग गये. ज्ञात हो कि संसद में लोकपाल बिल में करीब 20 संशोधन लंबित हैं.

भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाओं के लिए एकीकृत ढांचे की सिफारिश
संसदीय समिति की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाओं के लिए एकीकृत ढांचे की सिफारिश की गयी है. रिपोर्ट में केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को लोकपाल के साथ एकीकृत करने की भी सिफारिश की गयी है.

लोकपाल की नियुक्ति में सरकार की दिलचस्पी नहीं : शांति भूषण
गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से जनहित याचिका दायर करनेवाले वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा कि अदालत को इस मामले में दखल देना चाहिए और सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे देना चाहिए. लोकपाल की नियुक्तिमें सरकार दिलचस्पी नहीं ले रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जान-बूझ कर संशोधन विधेयक को रोक रखा है. सीबीआइ प्रमुख, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और केंद्रीय सूचना आयुक्त की नियुक्ति के मामले में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे दिया गया है,लेकिनलोकपालके मामले में ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक वर्ष 2013 में पारित हुआ. 2014 में यह प्रभावी हो गया था, फिर भी अब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है.

लोकपाल की चयन समिति
लोकपाल की चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, नेता विपक्ष, भारत के प्रधान न्यायाधीश या प्रधान न्यायाधीश द्वारा नामित सुप्रीम कोर्ट के जज और एक नामचीन हस्ती के होने का प्रावधान है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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