नयी दिल्ली : केंद्रीय जांचएजेंसी सीबीआइ ने स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित अपनी जांच के तहत आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से पूछताछ की. स्टिंग में वह कथित तौर पर कुछ असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों को प्रभावित करने की कोशिश करते दिखाई देते हैं.
सूत्रों ने दावा किया कि एजेंसी ने रावत से आज पेश होने को कहा था. क्योंकि माना जाता है कि 24 मई को हुई पूछताछ में उन्होंने कुछ सवालों के जवाब नहीं दिये थे. हालांकि रावत ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने जांच एजेंसी का पूरा सहयोग किया.
सीबीआइ ने ‘स्टिंग ऑपरेशन’ से संबंधित जांच के सिलसिले में 29 अप्रैल को प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी. स्टिंग में रावत बागी कांग्रेस विधायकों को कथित तौर पर रिश्वत की पेशकश करते दिखते हैं. जिससे कि उत्तराखंड विधानसभा में वे शक्ति परीक्षण के दौरान उनका समर्थन कर सकें.
बागी कांग्रेस विधायकों द्वारा स्टिंग जारी किये जाने के बाद रावत ने आरोप से इनकार किया और वीडियो को फर्जी करार दिया, लेकिन बाद में कैमरे में खुद के होने की बात स्वीकार की.
शक्ति परीक्षण में रावत की जीत के बाद 15 मई को कैबिनेट की बैठक हुई थी और रावत से संबंधित स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआइ जांच की सिफारिश करने संबंधी अधिसूचना को वापस ले लिया गया, लेकिन केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा रही जांच को रोकने का उनका आग्रह उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था.
पीई राज्य सरकार (राष्ट्रपति शासन के दौरान) से मिले संदर्भ तथा बाद में भाजपा नीत केंद्र सरकार से जारी अधिसूचना पर दर्ज की गयी थी. पीई पहला कदम होता है जिसमें एजेंसी इसे मिली शिकायत पर तथ्यों का सत्यापन करती है. पीई के दौरान एजेंसी किसी व्यक्ति से केवल ‘‘जांच में शामिल होने” का ‘‘आग्रह” कर सकती है और उसे सम्मन नहीं भेज सकती, छापे नहीं मार सकती या गिरफ्तारी नहीं कर सकती.
यदि तथ्यों के सत्यापन में आगे की जांच की आवश्यकता महसूस होती है तो वह एफआइदआर दर्ज कर सकती है या पीई को बंद कर सकती है. सीबीआइ ने मामले की जांच के लिए राष्ट्रपति शासन के दौरान दी गयी स्वीकृति को वापस लेने की राज्य सरकार की अधिसूचना को भी खारिज कर दिया था.