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दलित बलात्कार मामला : पीडिता की मां से मिले चांडी

कोच्चि : दलित छात्रा के साथ निर्मम बलात्कार और हत्या के मामले में संलिप्त लोगों की की गिरफ्तारी में हो रही देर के कारण चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच केरल के मुख्य मंत्री ओमन चांडी ने आज पीडिता की बीमार मां से पेरंबवूर स्थित अस्पताल में मुलाकात की और कहा कि दोषियों को जल्द […]

कोच्चि : दलित छात्रा के साथ निर्मम बलात्कार और हत्या के मामले में संलिप्त लोगों की की गिरफ्तारी में हो रही देर के कारण चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच केरल के मुख्य मंत्री ओमन चांडी ने आज पीडिता की बीमार मां से पेरंबवूर स्थित अस्पताल में मुलाकात की और कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा. वामपंथी छात्र संगठन डीवाईएफआई के कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शनों के बीच मुख्यमंत्री अस्पताल पहुंचे. उन्होंने पीडिता की मां को सांत्वना देते हुए कहा कि पीडिता की बहन को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए कदम उठाये जाएंगे ताकि वह परिवार की मदद कर सके.

चांडी ने कहा, ‘मैं आपको आश्वासन देता हूं कि इस निर्मम अपराध के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.’ मुख्यमंत्री ने इन आरोपों से इंकार कर दिया कि दोषियों की गिरफ्तारी में देरी के कारण यह मामला कमजोर पड गया है. उन्होंने कहा, ‘कोई भी चीज कडी कानूनी कार्रवाई को रोक नहीं पाएगी. मैं आपको आश्वासन देता हूं कि सरकार इसे एक बेहद गंभीर घटना के रूप में लेगी और हम दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करेंगे और उन्हें कानून के समक्ष पेश करेंगे.’

एर्नाकुलम जिले में 30 वर्षीय दलित महिला के साथ हुए निर्मम बलात्कार एवं हत्या के मामले में पुलिस ने पूछताछ के लिए तीन लोगों को हिरासत में लिया है. पीडिता कानून की छात्रा थी और एक गरीब परिवार से थी. महिला के पेरम्बवूर स्थित घर में 28 अप्रैल को उसके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और फिर धारदार हथियारों से चोटें पहुंचाकर उसकी हत्या कर दी गई. इस अपराध में आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे राज्य के लोग स्तब्ध हैं.

आगामी 16 मई से होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है. एर्नाकुलम रेंज के महानिरीक्षक महिपाल यादव ने कहा कि महिला के गले, छाती और कई अन्य अंगों पर पर दम घोंटने और 13 चोटों के निशान थे. कुछ खबरों में बताया गया है कि पीडिता के शरीर पर 20 चोटें थीं और उसकी आंतें बाहर निकाल ली गई थीं.

इस अपराध को ‘केरल की निर्भया’ कहकर संबोधित किया जा रहा है क्योंकि इसमें बरती गई क्रूरता वर्ष 2012 में चलती बस में पेरामेडिकल की एक युवा छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की याद दिलाती है. उस घटना की शिकार लडकी ने बाद में दम तोड दिया था. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न दलों के नेताओं ने इस घटना पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है इतनी अधिक क्रूरता वाला यह राज्य का पहला मामला है.

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