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आरएसएस ने कहा, समृद्ध लोगों के लिए आरक्षण नहीं

नागौर (राजस्थान) : हाल ही में जाट आरक्षण को लेकर हुए आंदोलन का परोक्ष रूपसे संदर्भ रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)ने रविवार को प्रभावशाली तबकों की आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया और यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की वकालत की कि पिछडे वर्ग केजरूरतमंदलोगों को आरक्षण का लाभ मिल रहा […]

नागौर (राजस्थान) : हाल ही में जाट आरक्षण को लेकर हुए आंदोलन का परोक्ष रूपसे संदर्भ रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)ने रविवार को प्रभावशाली तबकों की आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया और यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की वकालत की कि पिछडे वर्ग केजरूरतमंदलोगों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है या नहीं. सामाजिक समरसता की वकालत करते हुए संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि जाति आधारित भेदभाव के लिए हिंदू समुदाय के सदस्य जिम्मेदार हैं और हमें सामाजिक न्याय के लिए इसे समाप्त करना होगा. उन्होंने इस बाबत बी आर अंबेडकर को याद किया. संपन्न लोगों की आरक्षण की मांग को नामंजूर करते हुए जोशी ने कहा कि अंबेडकर ने सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण के प्रावधान बनाये थे और आज आरक्षण की मांग कर रहे लोगों को इस अवधारणा को ध्यान में रखना चाहिए.

भैयाजी जोशी ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि यह सोच सही दिशा में नहीं है. ऐसे (समृद्ध) वर्ग के लोगों को अपने अधिकार छोड़ देने चाहिए और समाज के कमजोर तबके की मदद करनी चाहिए. लेकिन इसके बजाय वे अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं जो सोच सही दिशा में नहीं है.’ जोशी ने इस तरह की मांगों के लिए किसी वर्ग का सीधा उल्लेख नहीं किया, लेकिन समझा जाता है कि उनका इशारा जाट समुदाय की ओर था जिसने हाल ही में आरक्षण के लिए हरियाणा में बड़ा हिंसक आंदोलन चलाया.

इधर पिछले 91 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान रहे खाकी रंग का निकर अब इस संगठन के गणवेश से बाहर हो जाएगा और समय के साथ बदलाव ला रहे संगठन की पहचान अब भूरे रंग की पतलून बनेगी. संघ की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की यहां आयोजित तीन दिवसीय सालाना बैठक में यह फैसला किया गया. साल 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ढीला-ढाला खाकी निकर संगठन की पहचान रहा है.

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