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जेएनयू विवाद : कन्हैया की जमानत याचिका पर दो मार्च तक फैसला सुरक्षित

नयी दिल्ली : विश्वविद्यालय परिसर में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारे लगाने के चलते देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया की जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय आज सुनवाई करते हुए दो मार्च तक फैसला सुरक्षित रखा है. जस्टिस प्रभा रानी ने आज इस मामले पर सुनवाई की. उन्होंने बीती […]

नयी दिल्ली : विश्वविद्यालय परिसर में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारे लगाने के चलते देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया की जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय आज सुनवाई करते हुए दो मार्च तक फैसला सुरक्षित रखा है.

जस्टिस प्रभा रानी ने आज इस मामले पर सुनवाई की. उन्होंने बीती 24 फरवरी को इस मामले की सुनवाई 29 फरवरी तक के लिए टाल दी थी क्योंकि दिल्ली पुलिस ने पीठ से कहा था कि वह फिर से पूछताछ के लिए कन्हैया की हिरासत की मांग करेगी. जांच के दौरान कन्हैया का आमना-सामना जेएनयू के दो अन्य गिरफ्तार छात्रों- उमर खालिद और अनिर्बाण भट्टाचार्य से करवाने के लिए उसे एक दिन की हिरासत में लिया गया था.
उमर और अनिर्बाण ने 23 फरवरी की रात पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. कन्हैया का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पहले यह दावा किया था कि दिल्ली पुलिस की ओर से दायर स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, उनके मुवक्किल की ओर से कोई भी भारत-विरोधी नारा लगाए जाने का साक्ष्य नहीं है. 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया कन्हैया 17 फरवरी तक पुलिस हिरासत में था और बाद में रिमांड कार्रवाई के दौरान अदालत परिसर में हुई हिंसा के बीच उसे दो मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. उसे 25 फरवरी को एक दिन की पुलिस हिरासत में ले लिया गया था और 26 फरवरी को उसे वापस न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
उच्च न्यायालय में पुलिस की ओर से दायर कराई गई स्थिति रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि नौ फरवरी को जेएनयू परिसर में आयोजित जिस समारोह में राष्ट्र-विरोधी नारे लगे थे, कन्हैया ने उस समारोह में न सिर्फ शिरकत ही की थी, बल्कि उसने वास्तव में कार्यक्रम का ‘‘आयोजन’ भी किया था. रिपोर्ट में दावा किया गया कि कन्हैया और अन्य आरोपियों के अलावा, कुछ ‘विदेशी तत्व’ भी उस आयोजन के दौरान मौजूद थे और उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने चेहरे ढंके हुए थे. पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था, ‘‘जांच एजेंसी याचिकाकर्ता :कन्हैया: और उसके सह आरोपियों और उन कथित विदेशी तत्वों के बीच के संपर्कों की पडताल कर रही है, जिन्होंने चेहरे ढककर अपनी पहचान छिपाई हुई थी.’

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