नयी दिल्ली : सुभाष चंद्र बोस के गायब होने को सभी साजिशों की जड करार देते हुए आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने मोदी सरकार से नेताजी की रहस्यमय मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए साहसिक कदम उठाने को कहा है. आरएसएस के मुखपत्र में ‘मदर ऑफ ऑल कंसपरेसीज’ शीर्षक से प्रकाशित आवरण लेख में कहा गया है, ‘‘इस तरह की कई साजिश से जुडी बातें नेहरु-गांधी परिवार से जुडी हुई हैं लेकिन यह सभी साजिशों की जड निकल रही है. यह अब स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी और खासतौर पर नेहरु-गांधी परिवार को नेताजी और अलग-अलग विचारधाराओं के अन्य नेताओं पर कई सवालों का जवाब देना है. हास्यास्पद बात है कि वही नेहरु और उनके वंशज लोकतंत्र और भारत में सहिष्णुता का दावा करते हैं.’’
लेख में कहा गया है, ‘‘नेताजी की मौत के रहस्य का समाधान करने के लिए अगर यह साहसिक कदम नरेंद्र मोदी सरकार ने नहीं उठाया तो मेरा मानना है कि कोई और भविष्य में ऐसा नहीं कर पाएगा और नेताजी का रहस्य हमेशा के लिए रहस्य बनकर रह जाएगा.’’ यह लेख नेताजी से संबंधित दस्तावेज को ममता बनर्जी सरकार द्वारा सार्वजनिक करने के बाद आया है. इसमें दावा किया गया है कि इसने नेताजी की मौत से जुडी बातों की छिपाने के संदेह और उनके परिवार के सदस्यों की जासूसी की शर्मनाक साजिश की पुष्टि की है.
लेख के लेखक ने कहा, ‘‘सरकार को इस बात की जांच करनी चाहिए कि कहां नेताजी की वाकई मौत हुई। मुङो उम्मीद है कि आखिरकार वह सामने आएगा.’’ लेखक ने नेताजी पर शोध किया है. इसमें कहा गया है कि नेताजी अपने क्रांतिकारी उत्साह और अपने अंतरराष्ट्रीय कद की वजह से लोगों में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान नेहरु से कहीं अधिक लोकप्रिय थे. लेख में कहा गया है, ‘‘उन्होंने निर्वासन में भारत की प्रथम स्वतंत्र सरकार का गठन किया था जिसे 11 देशों ने मान्यता दी थी. दुर्भाग्य से, इस इतिहास को स्वतंत्रता के बाद के नेतृत्व ने हमारी स्मृति से जानबूझकर मिटा दिया.’’
लेख में कहा गया है, ‘‘एक तरफ नेहरु ने भारत में नेताजी के प्रवेश को रोक दिया, लेकिन साथ ही और सवाल खडे होते हैं कि नेताजी और आईएनए का धन कहां गया। नेताजी सिंगापुर लॉर्ड माउन्टबेटन के अनुरोध की वजह से गए और बैंक के अधिकारियों से मुलाकात की। लेकिन वह क्यों अब भी रहस्य है.’’ लेख में कहा गया है, ‘‘हमें धन और गहने जो दक्षिण पूर्वी एशिया में रहने वाले हजारों भारतीयों ने नेताजी को दान किए थे उसके बारे में भी सूचना हासिल करनी चाहिए.’’ लेख में कहा गया है, ‘‘यह दुखद है कि जिस व्यक्ति ने स्वतंत्रता के लिए भारतीयों का खून मांगा वह खुद अपनी आखिरी सांस अपनी मातृभूमि पर नहीं ले सका. उसके परिवार की जासूसी की गई और उनके सहायकों को स्वतंत्र भारत में अपराधी माना गया. नेताजी पर फाइलों को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक करने से नेताजी की मौत के इर्द-गिर्द लीपापोती के बारे में संदेह और उनके परिवार के सदस्यों की शर्मनाक जासूसी की पुष्टि होती है.’’