नयी दिल्ली : ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द यूपीए के शासनकाल में उछाले जाने के केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आरोपों के बीच शनिवार को राजनीतिक दलों में वाकयुद्ध छिड़ गया. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा देश के ‘ध्रुवीकरण’ के लिए यह मुद्दा उठा रही है, तो भाजपा ने कट्टरपंथी समूहों पर राहुल गांधी की टिप्पणी का मुद्दा उठाया. गृह मंत्री रहे कांग्रेस नेता सुशील शिंदे ने ‘हिंदू आतंकवाद’ का संसद में इस्तेमाल से इनकार किया.
पूर्व केंद्रीय मंत्रियों पी चिदंबरम और गुलाम नबी आजाद ने राजनाथ सिंह को आड़े हाथ लिया. चिदंबरम ने कहा कि यूपीए शासनकाल में गृह मंत्री के रूप में शिंदे ने एकदम अलग परिप्रेक्ष्य में हिंदू आतंकवाद पर सवाल उठाया था. पर, राजनाथ का बयान पूरी तरह बदला हुआ तर्क है. शिंदे जिस बात का जिक्र कर रहे थे, वह दक्षिणपंथी उग्रवादी समूहों से जुड़ा था. उनमें से कुछ पर मालेगांव, मक्का मसजिद तथा एक या दो अन्य विस्फोट के आरोप हैं. इनमें से कई आरोपी समूहों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नजदीकी रिश्ते रहे हैं. वस्तुत: कुछ तो संघ के सदस्य भी थे और ये सब जांच के आरोपपत्र का हिस्सा हैं.
आजाद ने कहा कि किसी को भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस को ‘लेक्चर’ देने की जरूरत नहीं है. हिंदू आतंकवाद की बात कर गृह मंत्री सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान बंटाने का प्रयास कर रहे हैं. शिंदे ने भी पुणे में यही बात कही.
आरोप
यूपीए सरकार ने ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया.
संसद में राजनाथ
मुझे नहीं लगता कि शिंदे ने आतंकवाद को हिंदू आतंकवाद कहा था. राजनाथ सिंह बयान को पूरी तरह तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं.
पी चिदंबरम
प्रत्यारोप
संसद में कभी हिंदू आतंकवाद की बात नहीं की. कांग्रेस के जयपुर सत्र में इसका इस्तेमाल किया था. बाद में वापस ले लिया.
पुणे में सुशील शिंदे
2010 में राहुल ने कहा था कि कट्टरपंथी हिंदू समूह पाक के लश्कर-ए-तैयबा को मिल रहे स्थानीय समर्थन की तुलना में बड़ा खतरा हो सकते हैं.
रवि शंकर प्रसाद