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नये हवाईअड्डों के लिये नियमों में ढील दे सकती है सरकार
नयी दिल्ली: देश में हवाई यातायात की बढती लोकप्रियता और जरूरतों को देखते हुए सरकार देश में नए हवाइ अड्डों को बनाने के लिए मौजूदा नियमों में ढील देने की सोच रही है. नागर विमानन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने आज इस बात के संकेत दिए. दरअसल, उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के जेवर में […]
नयी दिल्ली: देश में हवाई यातायात की बढती लोकप्रियता और जरूरतों को देखते हुए सरकार देश में नए हवाइ अड्डों को बनाने के लिए मौजूदा नियमों में ढील देने की सोच रही है. नागर विमानन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने आज इस बात के संकेत दिए.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के जेवर में नये हवाईअड्डे का प्रस्ताव काफी समय से इन्ही कठोर नियमों की वजह से अटका हुआ है. इसलिए सरकार उस नियम की समीक्षा पर विचार कर रही है जो मौजूदा हवाईअड्डे के 150 किलोमीटर के दायरे में दूसरे हवाईअड्डे की अनुमति नहीं देता.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की जरुरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जेवर में नया हवाईअड्डा महत्वपूर्ण परियोजना है. इस पर देशहित में चर्चा की जाएगी. हवाईअड्डा परियोजना मायावती या मुलायम सिंह की नहीं, बल्कि भारत की है.
असल में, जेवर हवाईअड्डे का प्रस्ताव सबसे पहले 2001 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था और बाद में उनकी उत्तराधिकारी मायावती ने इसे आगे बढाया.फिलहाल नियमों के अनुसार दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे तथा ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित हवाईअड्डे के बीच दूरी 150 किलोमीटर से कम है. इसी वजह से नोयडा में इस नए हवाई अड्डे को बनाने की राह में अड़ंगे लग रहे हैं.
गौतमबुद्ध नगर से सांसद महेश शर्मा ने कहा कि हवाईअड्डे के लिये 35 गांवों में फैली 2,378 एकड़ जमीन का अधिग्रहण 2003 में किया गया है और जरुरत पडी तो और जमीन उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पर आगे बढने से पहले नागर विमानन मंत्रालय के अंदर और प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की जाएगी. उन्होंने संकेत दिया कि साल के अंत तक मामले में निर्णय किये जाने की संभावना है.
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