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करगिल युद्ध के बीस साल : भारतीय सेना के अदम्‍य साहस की दास्‍तान

90 के दशक का वो दौर जब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तमाम गिले शिकवे भुला कर पड़ोसियों से अच्छे संबंध की कवायद में जुटे थे. लेकिन पड़ोसी भारत की पीठ पर छुरा मारने की तैयारी में जी जान से लगे थे. जी हां, ये वहीं दौर था जब वाजपेयी दोस्ती की इबारत लिख […]

90 के दशक का वो दौर जब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तमाम गिले शिकवे भुला कर पड़ोसियों से अच्छे संबंध की कवायद में जुटे थे. लेकिन पड़ोसी भारत की पीठ पर छुरा मारने की तैयारी में जी जान से लगे थे. जी हां, ये वहीं दौर था जब वाजपेयी दोस्ती की इबारत लिख रहे थे, और पाकिस्तान कारगिल जंग की तैयारी में लगा था.

क्‍यों हुई थी 1999 में पाकिस्‍तानी घुसपैठ
लाहौर बस यात्रा का जोरदार स्‍वागत कर पाकिस्‍तान ने दुनिया को यह जताने की पूरी कोशशि की थी कि वो भी कश्‍मीर मसले को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहता है. लेकिन उसकी नियत में कुछ और ही था, तभी तो सर्दियों में जब दोनों देशों की सेनाएं पहाड़ी इलाके से वापस आ गयी तो चोरी छिपे उसने आतंकियों के वेश में अपनी सेना को वहां कब्‍जे के लिए भेज दिया.
दरअसल, करगिल में एलओसी के पास भारतीय सेना का सिर्फ एक ही ब्रिगेड था, जिसका पाकिस्‍तान ने फायदा उठाया, और सर्दियों में जब पोस्ट को खाली करा दिया गया तो घुसपैठियों ने वहां कब्‍जा जमा लिया. इन इलाकों में सड़कों की भी कमी थी. युद्ध सामग्री और निगरानी की तकनीक की भी कमी थी, जिसका फायदा उठाकर पाकिस्तान ने घुसपैठ की थी.
भारत का ऑपरेशन विजय
करगिल युद्ध, भारत और आतंकियों के वेष में छुपे पाकिस्तानी सेना के बीच सशस्त्र संघर्ष का नाम है. इस लड़ाई को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. करीब 60 दिनों तक चली इस लड़ार्इ का अंत 26 जुलाई को तमाम आतंकियों को पाकिस्‍तान खदेड़ कर हुआ. भारतीय थल सेना और वायु सेना अदम्‍य साहस दिखाते हुए घुसपैठियों को भागने पर मजबूर कर दिया. इस युद्ध में भारतीय सेना के 5 सौ से ज्‍यादा जवान शहीद हुए और करीब 13 सौ से ज्‍यादा घायल हुए थे. वहीं, पाकिस्तान के तीन हजार से ज्‍यादा सैनिक मारे गए थे. साथ ही युद्ध में मिली करारी हार से पाकिस्‍तान इस बात को भी समझ चुका है के अगर वो सरहद पार करता है तो भारत उसका मुंह तोड़ जवाब देगा.
आतंकवाद बनाम विकास
करगिल वार के 20 साल हो चुके हैं. इन बीस सालों में भारत दुनिया की बुलंदी पर पहुंच चुका है, भारत चांद पर झंडे गाड़ रहा हैं, दुनियां की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाले देश में शामिल हो चुका है. हम चांद पर कदम ताल कर रहे हैं. जबकि पाकिस्‍तान अभी भी जमीन पर ही रेंग रहा है. उसकी अर्थव्‍यवस्‍था कर्ज के बोझ से दबी जा रही है.
करगिल लड़ाई से सीख
करगिल युद्ध के इन 20 सालों में भारत ने कई सीख सीखी है. हमारी सेना पहले से बेहतर और आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस है. सीमा पर निगरानी के खुफिया तंत्र और सुरक्षा के क्षेत्र में कई काम हुए हैं. रक्षा बजट को भी बढ़ाया गया है. भारत की सीमा पर अब पाकिस्‍तान पहले की तरह घुसपैठ नहीं कर सकता. करगिल घुसपैठ के बाद भारत ने घुसपैठ वाले इलाकों में सेना की तैनाती तीन गुणा बढ़ा दी है. सर्दी के मौसम में भी पोस्‍ट को खाली नहीं छोड़ा जाता. एलओसी पर हैलीपैड बनाये गये हैं. बड़े पैमाने पर युद्ध सामग्री रखी गई है. जो किसी भी घुसपैठ का मुंह तोड़ जबाव दे सकने में पूरी तरह सक्षम है.
एक नजर करगिल पर हुए घटनाक्रम पर
  • एक चरवाहे ने सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना और आतंकियों के घुसपैठ की सूचनी दी.
  • भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम कारगिल पहुंची, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और 5 की हत्या कर दी.
  • द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया.
  • बोफोर्स तोपें करगिल लड़ाई में सेना के खूब काम आई थी.
  • 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़े गये करगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 3 हजार सैनिकों को मार गिराया था.
  • युद्ध में भारत के 5 से अधिक जवान शहीद हुए थे 13 सै से अधिक जवान घायल हुए थे.
  • करगिल युद्ध के समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे.

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