कैप्टन सौरभ कालिया यह नाम उस सैनिक का है, जिसे कारगिल युद्ध का पहला शहीद माना जाता है. कैप्टन सौरभ कालिया मात्र 22 वर्ष की उम्र में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे. कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान आर्मी ने उन्हें बंदी बना लिया था और उन्हें बुरी तरह से प्रताड़ित किया था, उसके बाद उनकी हत्या कर दी गयी थी.
कैप्टन सौरभ कालिया अपने पांच साथियों के साथ गश्त लगा रहे थे, उसी दौरान पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें बंदी बना लिया और कैद में रखकर कई तरह की यातनाएं दीं. सौरभ भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे जिन्होंने नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी सबसे पहले दी थी. बताया जाता है कि उन्हें रॉड से मारा जाता था, साथ ही उनकी आंखें फोड़ दी गयी थीं और प्राइवेट पार्ट को काट दिया गया था उसके बाद उनकी हत्या कर दी गयी थी. पाक अधिकृत कश्मीर के एक रेडियो ने सबसे पहले उनके बंदी बनाये जाने की सूचना दी थी.
1997 में हुआ था संयुक्त रक्षा सेवा के लिए हुआ था चयन
29 जून 1976 को अमृतसर में जन्मे सौरभ कालिया का चयन अगस्त 1997 में संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा के लिए हुआ था. ट्रेनिंग के पश्चात 12 दिसंबर 1998 को वे भारतीय थलसेना में कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए. कुछ दिनों तक जाट रेजिमेंट सेंटर, बरेली में तैनाती के बाद उनकी पोस्टिंग कारगिल सेक्टर में हुई.
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