नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मस्जिदों में नमाज के लिए महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के लिए अखिल भारत हिंदू महासभा की केरल इकाई की याचिका सोमवार को खारिज कर दी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केरल उच्च न्यायालय के इस आदेश को सही ठहराया कि यह जनहित याचिका प्रायोजित है और सस्ते प्रचार के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है. केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील खारिज करते हुए पीठ ने सवाल किया, आप कौन हैं? आप कैसे प्रभावित हैं? हमारे सामने प्रभावित लोगों को आने दीजिये. अखिल भारत हिंदू महासभा की केरल इकाई के अध्यक्ष स्वामी देतात्रेय साई स्वरूप नाथ ने जब न्यायाधीशों के सवालों का जवाब मलयाली भाषा में देने का प्रयास किया तो पीठ ने न्यायालय कक्ष में उपस्थित एक अधिवक्ता से इसका अनुवाद करने का अनुरोध किया.
अधिवक्ता ने पीठ के लिए अनुवाद करते हुए कहा कि स्वामी याचिकाकर्ता हैं और उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के 11 अक्तूबर, 2018 के आदेश को चुनौती दी है. इस पर पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया है कि इस याचिका पर सुनवाई होने से पहले ही इसके बारे में मीडिया में खबरें थीं और यह प्रायोजित याचिका लगती है जिसका मकसद सस्ता प्रचार पाना है. पीठ ने कहा, हमें उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आती है. याचिका खारिज की जाती है.