इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर संसदीय क्षेत्र में पिछले 30 साल से हालांकि भाजपा की विजय पताका फहरा रही है. लेकिन चुनावी समर से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के विश्राम लेने के बाद इस बार यहां उम्मीदवारों की हार-जीत के समीकरण एकदम बदल गये हैं. इंदौर में 19 मई को मुख्य भिड़ंत भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी और कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी के बीच होने वाली है. यहां स्पष्ट चुनावी लहर नदारद है.
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इंदौर : लो-प्रोफाइल चेहरों के बीच भाजपा के गढ़ में चुनावी भिड़ंत
इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर संसदीय क्षेत्र में पिछले 30 साल से हालांकि भाजपा की विजय पताका फहरा रही है. लेकिन चुनावी समर से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के विश्राम लेने के बाद इस बार यहां उम्मीदवारों की हार-जीत के समीकरण एकदम बदल गये हैं. इंदौर में 19 मई को मुख्य भिड़ंत भाजपा प्रत्याशी शंकर […]
हालांकि, रोचक संयोग की बात यह है कि सांसदी की दौड़ में शामिल दोनों चुनावी प्रतिद्वन्द्वी अब तक इंदौर नगर निगम के पार्षद पद का चुनाव ही जीत सके हैं. दोनों हमउम्र नेता अमूमन लो-प्रोफाइल में रह कर राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं.
30 साल बाद मिलेगा कोई नया प्रतिनिधि : शहर के पलासिया इलाके में चाय की दुकान चलाने वाले श्यामबिहारी शर्मा ने बताया, ताई (मराठी में बड़ी बहन का संबोधन और सुमित्रा महाजन का लोकप्रिय उपनाम) के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद से ही ऐसा लग रहा है कि इंदौर सीट का दर्जा वीवीआइपी से सामान्य हो गया है. उन्होंने कहा, इस बार भाजपा और कांग्रेस, दोनों दलों के चुनाव प्रचार में एक तरह की सुस्ती महसूस की गयी है.
लालवानी के सामने भाजपा का गढ़ बचाने की चुनौती
इंदौर लोकसभा क्षेत्र में करीब 23.5 लाख लोगों को मतदान का अधिकार हासिल है. सांसदी की दौड़ में पहली बार शामिल भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी खासकर मोदी का नाम लेकर वोट मांगते देखे गये हैं.
उनके सामने इंदौर सीट पर भाजपा का 30 साल पुराना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है. आइडीए के पूर्व चेयरमैन लालवानी अपनी सभाओं में राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ने जैसे मुद्दों को लेकर खूब मुखर हैं.
21 साल के लंबे अंतराल के बाद कांग्रेसी नेता पंकज संघवी मैदान में
कांग्रेस उम्मीदवार पंकज संघवी 21 साल के लंबे अंतराल के बाद अपने सियासी करियर का दूसरा लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें वर्ष 1998 में इंदौर लोकसभा क्षेत्र में ही भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन के हाथों 49,852 मतों से हार का स्वाद चखना पड़ा था. संघवी ने चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दे के साथ युवाओं को रोजगार, औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी जैसे वादे भी किये हैं.
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