बात साल 1977 की है. चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए चौधरी चरण सिंह फैजाबाद सर्किट हाउस में विश्राम कर रहे थे. इसके बाद बीकापुर में आयोजित सभा में चौधरी ने मतदाताओं से कहा कि अगर उनकी पार्टी का प्रत्याशी चारित्रिक रूप से पतित हो, शराब पीता हो या किसानों-मजदूरों से धोखा करता हो तो वे उसे हराने में संकोच न करें. उन दिनों फैजाबाद जिले की टांडा तहसील में चौधरी के समर्थक एक युवा नेता गोपीनाथ वर्मा विधानसभा के टिकट का निवेदन करने गये. गोपीनाथ ने बताया कि अध्यक्ष जी ने उनका नाम काट दिया है और उसकी जगह एक शराब व्यवसायी का नाम लिखा हुआ है.
चौधरी ने तुरंत प्रदेश अध्यक्ष रामवचन यादव को तलब किया, तो उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा- ‘मजबूरी है. कारोबारी ने पार्टी के लिए नौ लाख रुपये दिये हैं. इस पर चौधरी बिफर पड़े और कहने लगे, मजबूरी आपकी होगी, पार्टी की नहीं है. उन्होंने व्यापारी के पैसे लौटाने को कहा और बोले- हम किसी शराब व्यवसायी को प्रत्याशी नहीं बनायेंगे’ और गोपीनाथ का टिकट पक्का हो गया.