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गौतमबुद्ध नगर : महेश शर्मा को गठबंधन प्रत्याशी सतवीर से मिल रही टक्कर, वीवीआइपी सीटों पर कड़ा मुकाबला

एसएस अवस्थी नोएडा : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटी गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट कई मायनों में वीवीआइपी है. पीएम मोदी पांच साल में छह बार यहां रैली कर चुके हैं. चुनावी घोषणा के ठीक एक दिन पहले भी यहीं से रैली की शुरुआत की थी. यहां केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा के […]

एसएस अवस्थी
नोएडा : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटी गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट कई मायनों में वीवीआइपी है. पीएम मोदी पांच साल में छह बार यहां रैली कर चुके हैं. चुनावी घोषणा के ठीक एक दिन पहले भी यहीं से रैली की शुरुआत की थी.
यहां केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा के सामने बड़ी चुनौती गठबंधन प्रत्याशी सतवीर नागर हैं. कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अरविंद सिंह भी परंपरागत वोट व पार्टी में आये बदलाव के कारण मजबूत स्थिति बनाये हुए हैं. भले ही वे सीधी टक्कर न दे रहे हों, लेकिन उनके परिणाम प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
2009 में गौतमबुद्धनगर सीट बनने व बसपा सुप्रीमो मायावती का गृह जनपद (पैतृक घर बादलपुर) होने के नाते बसपा का दबदबा रहा है. पहले चुनाव में बसपा के सुरेंद्र सिंह नागर ने भाजपा के डॉ. महेश शर्मा को हराया था. 2014 चुनाव में डॉ. महेश शर्मा करीब पौने तीन लाख मत से जीते थे.
विकास तो किया, लेकिन नाराजगी बढ़ गयी
सांसद महेश शर्मा गौतमबुद्धनगर में करीब 50 हजार करोड़ रुपये से विकास कार्य कराने का दावा तो करते हैं, लेकिन लोग नाराज हैं. विशेषकर गुर्जर व ठाकुर बिरादरी इतनी नाराज हो गयी कि क्षेत्र में प्रवेश करने पर भी रोका गया. स्थिति यह बनी कि ठाकुर बिरादरी को मनाने के लिए बिसाहड़ा में सीएम योगी आदित्यनाथ व झाझर ककोड़ में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की रैली करानी पड़ी.
बड़ा ही पेचीदा है इस क्षेत्र में वोटों का आंकड़ा
क्षेत्र गुर्जरों की राजधानी कही जाती है. पिछले एक-दो चुनावों को छोड़ दें तो यहां पर सभी दल गुर्जर प्रत्याशी ही उतारते रहे हैं. शहरी वोटों का आंकड़ा बढ़ने के बाद डॉ. महेश पहले गैर गुर्जर सांसद बने. यहां गुर्जर, ठाकुर, एससी, मुस्लिम और ब्राह्मण वोटों (3.5-3.5 लाख के आसपास) की संख्या बराबर मानी जाती है. डॉ. महेश ब्राह्मण-बनिया व शहरी वोटरों के सहारे जीतना चाहते हैं.
गाजियाबाद. इस लोकसभा सीट पर केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह को गठबंधन व कांग्रेस की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पिछला रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ कुछ ही दिनों में तीन रैलियां कर चुके हैं. 25 लाख मतदाताओं वाले भाजपा के इस किले को भेदने के लिए सपा ने बसपा से आये पूर्व विधायक सुरेश बंसल को और कांग्रेस ने युवा डॉली शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. 2009 में यहां की जनता ने राजनाथ सिंह को सांसद बनाया था.
हाइराइज बिल्डिंगों और गांव में मुद्दे अलग
राजनगर एक्सटेंशन निवासी, पेशे से इंजीनियर रोहित वर्मा गाजियाबाद लोकसभा में पहली बार वोट डालेंगे. उनका कहना है कि हाइराइज बिल्डिंग में रहने वाला वोटर भाजपा के साथ ही रहेगा. गाजियाबाद शहर में खरीदारी करने आये किसान अजय कुमार का कहना है कि सांसद ऐसा होना चाहिए जो सुख-दुख में साथ रहे. इस कसौटी पर वीके सिंह को खरा नहीं मानते.

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